एक और जुलूस एक और पथराव…रामनवमी से पहले हजारीबाग के सौहार्द को घाव, लाठियों और आंसू गैस ने कंट्रोल किए हालात
रांची: रामनवमी के अवसर पर हजारीबाग में निकाले गए दूसरे मंगला जुलूस के दौरान पथराव हुआ। इसके बाद दो समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए। पथराव की घटना जामा मस्जिद चौक पर हुई। हंगामा बढ़ता देख पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हवाई फायरिंग भी की गई।
शहर में देर रात तक तनावपूर्ण स्थिति बनी रही। हालांकि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया। किसी अप्रिय घटना की आशंका को देखते हुए देर रात ही भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। पूरे इलाके में कर्फ्यू जैसा माहौल है।
जानिए कैसे हुई पूरी घटना
जानकारी के अनुसार, मंगला जुलूस देर रात निकाला गया था। जुलूस जब जामा मस्जिद चौक के पास अग्रवाल हैंडलूम के पास पहुंचा तो जुलूस में शामिल लोग लाठी खेल रहे थे। इसी दौरान एक पत्थर गिरा। इसके बाद दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया। वहीं, हंगामे के दौरान दोनों तरफ से तोड़फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं।
करनी पड़ी हवाई फायरिंग
घटना की सूचना मिलते ही सअनि अरविंद कुमार सिंह, एसडीपीओ अमित आनंद, डीएसपी अमित कुमार समेत कई पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। सभी भीड़ को संभालने में जुटे रहे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को चार बार हवा में फायरिंग करनी पड़ी।
स्थिति नियंत्रण में है एसपी अरविंद कुमार सिंह ने खुद घटना की कमान संभाली। उन्होंने कहा कि स्थिति पर काबू पा लिया गया है। पुलिस दोनों समुदाय के लोगों को शांत कराने में जुटी रही। हजारीबाग में रामनवमी से पहले और होली के बाद मंगलवार को मंगला जुलूस निकालने की परंपरा है। दूसरे मंगला जुलूस के दौरान यह घटना हुई। पुलिस सीसीटीवी और ड्रोन फुटेज की जांच कर रही है। घटना के वक्त जुलूस में गाने बज रहे थे और लोग लाठी चला रहे थे।
क्या है मंगला जूलूस का इतिहास
100 साल पुराना है हजारीबाग में रामनवमी हजारीबाग में रामनवमी मनाने का इतिहास सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। यहां पहली बार वर्ष 1918 में छह लोगों ने मिलकर जुलूस निकाला था। मंगला जुलूस की बात करें तो इसकी शुरुआत 1963 में मंगला जुलूस पूजा के रूप में कुम्हारटोली मोहल्ले से हुई थी।
जानकारी के अनुसार शहर के कुम्हारटोली से रामनवमी का जुलूस निकाला जाता था। तब प्रसाद की थाली, महावीरी झंडा और दो ढोल के साथ जुलूस निकाला जाता था। जानकार बताते हैं कि पहली बार जुलूस संध्या के समय निकाला जाता था। बड़े अखाड़े में करीब 40 अखाड़े जुटते थे। इसके बाद 40-50 फीट ऊंचे दर्जनों झंडों के साथ जुलूस बड़ा बाजार एक नंबर टाउन थाना के सामने कर्जन मैदान के मुख्य द्वार से मैदान तक पहुंचता था।