बोगोटा: कोलंबिया में 40 दिन पहले एक विमान हादसे के बाद लापता हुए चार बच्चे अमेजन के जंगलों में सुरक्षित मिले हैं। राष्ट्रपति गस्तावो पेट्रो ने शनिवार को यह जानकारी दी। क्यूबा से बोगोटा लौटने के बाद मीडिया से मुखातिब पेट्रो ने कहा कि लापता बच्चों की खोज के लिए बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा तलाश अभियान अब खत्म हो गया है। उन्होंने बताया कि बचावकर्ता 40 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद बच्चों को ढूंढ़ने में कामयाब रहे हैं और ये बच्चे अब चिकित्सीय निगरानी में हैं। पेट्रो विद्रोही गुट नेशनल लिबरेशन आर्मी के प्रतिनिधियों के साथ संघर्षविराम समझौते पर दस्तखत करने के लिए क्यूबा गए थे।
उन्होंने कहा कि इन बच्चों का ‘इतनी विषम परिस्थितियों में भी 40 दिन तक जीवित रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है’ और इनकी कहानी ‘इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी।’ हालांकि, ये बच्चे अपने दम पर इतने दिन तक कैसे जीवित रहे, इस बारे में पेट्रो ने कोई जानकारी नहीं दी है। चारों बच्चे सेसना के उस एकल इंजन वाले विमान में सवार छह यात्रियों में शामिल थे, जो एक मई को इंजन में खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे के बाद विमान का राडार से संपर्क टूट गया था और सरकार ने यात्रियों को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर तलाश अभियान शुरू किया था। तलाश अभियान के दौरान बचावकर्ताओं को 16 मई को अमेजन के घने जंगलों में विमान का मलबा मिला था।
जनजातीय समुदायों ने की मदद
मलबे से विमान के पायलट और दो वयस्क यात्रियों के शव भी बरामद हुए थे, लेकिन इसमें सवार चारों बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था। इसके बाद, कोलंबिया की सेना ने चार, नौ, 11 और 13 साल के इन बच्चों की तलाश के लिए अपने 150 जवानों को खोजी कुत्तों के साथ जंगल में भेजा। जनजातीय समुदायों के दर्जनों सदस्यों ने भी तलाश अभियान में सहयोग दिया। शुक्रवार को सेना ने ट्विटर पर कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिनमें कंबल में लिपटे ये बच्चे सैनिकों और जनजातीय स्वयंसेवकों के साथ नजर आते हैं। एक तस्वीर में एक सैनिक इनमें से सबसे छोटे बच्चे को बोतल से दूध पिलाता दिखाई देता है।
सेना ने जंगल में गिराए खाने के पैकेट
बाद में, वायुसेना ने एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें सैनिक बच्चों को हेलीकॉप्टर में चढ़ाते नजर आ रहे हैं। इसने लिखा कि हेलीकॉप्टर बच्चों को लेकर सैन जोस डेल ग्वावियार रवाना हुआ। तलाश अभियान के दौरान सेना जंगल में अलग-अलग जगहों पर इस उम्मीद में खाने के पैकेट गिराती थी कि इन बच्चों को पेट भरने और जीवित रहने में मदद मिल सकेगी। यही नहीं, सैनिक चारों बच्चों की दादी की ओर से रिकॉर्ड किया गया संदेश बजाते थे, जिसमें वह उनसे एक साथ रहने और हिम्मत न हारने के लिए कहती थी।