नईदिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना को मजबूत और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला किया है। इसके लिए उन्होंने 2800 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय ने सेना को सशक्त बनाने के लिए 6400 रॉकेट खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
रक्षा मंत्रालय ने पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर प्रणाली के लिए करीब 6400 रॉकेट खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। 2800 करोड़ रुपये से 6400 रॉकेट खरीदे जाएंगे। रक्षा मंत्रालय की मंजूरी से अब रॉकेट की खरीदारी की जाएगी। इसके साथ ही भारतीय सेना की ताकत बढ़ जाएगी।
रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण परिषद की हालिया बैठक में दो प्रकार के इन रॉकेटों के अधिग्रहण के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसे एरिया डेनियल म्यूनिशन टाइप-2 और टाइप-3 के नाम से जाना जाता है। बताया गया कि भारतीय सेना द्वारा रॉकेट केवल स्वदेशी स्रोतों से खरीदे जाएंगे और दो मुख्य दावेदारों में सोलर इंडस्ट्रीज की इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड और म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड शामिल हैं।
भारत निर्मित पिनाका हथियार प्रणाली का नाम भगवान शिव के धनुष के नाम पर रखा गया है। पिनाका हथियार प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है। इस हथियार प्रणाली को आर्मेनिया सहित विदेशी देशों में निर्यात किया गया है। परियोजना में शामिल निजी क्षेत्र की कंपनियों में लार्सन एंड टुब्रो, टाटा डिफेंस और इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड शामिल हैं।
सेना को पिनाका एमबीआरएल की 22 रेजिमेंटों की आवश्यकता है। पिनाका रॉकेट का परीक्षण हाल ही में राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में भी किया गया है और इन परीक्षणों के दौरान कई सफल परीक्षण किए गए हैं।
पिनाका रॉकेट्स की गति ही इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाती है. इसकी स्पीड 5757.70 km प्रतिघंटा है. यानी एक सेकेंड में 1.61 km की गति से हमला करता है. पिछले साल इसके 24 टेस्ट किए गए थे. इसके प्रमुख तौर पर दो वैरिएंट्स मौजूद हैं. तीसरा निर्माणधीन है. पहला है – पिनाका एमके-1 (एनहैंस्ड) रॉकेट सिस्टम .
दूसरा है पिनाका एरिया डिनायल म्यूनिशन रॉकेट सिस्टम. इसका नाम भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर रखा गया है. पिनाका रॉकेट सिस्टम 44 सेकेंड में 12 रॉकेट दागता है. यानी हर 4 सेकेंड में एक रॉकेट. 214 कैलिबर के इस लॉन्चर से एक के बाद एक 12 पिनाका रॉकेट दागे जा सकते हैं.
इसकी रेंज 7 km के नजदीकी टारगेट से लेकर 90 km दूर बैठे दुश्मन को नेस्तानाबूत कर सकता है. पहले वैरिएंट की रेंज 45 किलोमीटर है. दूसरे वैरिएंट की 90 किलोमीटर है. तीसरे निर्माणाधीन वैरिएंट की रेंज 120 किलोमीटर होगी. इस लॉन्चर की लंबाई 16 फीट 3 इंच से लेकर 23 फीट 7 इंच तक है. इसका व्यास 8.4 इंच है.
इस लॉन्चर से छोड़े जाने वाले पिनाका रॉकेट पर हाई एक्सप्लोसिव फ्रैगमेंटेशन, क्लस्टर बम, एंटी-पर्सनल, एंटी-टैंक और बारूदी सुरंग उड़ाने वाले हथियार लगा सकते हैं. यह रॉकेट 100 kg तक के वॉरहेड लगा सकते हैं. इस सिस्टम की शुरूआत 1986 में हुई थी.
सेना के सूत्रों ने बताया कि पिनाका रेजीमेंट को सैन्य बलों की संचालन तैयारियां बढ़ाने को चीन और पाकिस्तान की सीमा के साथ तैनात किया जाएगा. बीईएमएल ऐसे वाहनों की आपूर्ति करेगी जिस पर रॉकेट लॉन्चर को रखा जाएगा. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 6 पिनाका रेजीमेंट में ‘ऑटोमेटेड गन एमिंग एंड पोजिशनिंग सिस्टम’के साथ 114 लॉन्चर, 45 कमान पोस्ट भी होंगे. रॉकेट रेजीमेंट का संचालन 2024 तक शुरू करने की योजना है.
करगिल युद्ध के दौरान इस मिसाइल को टट्रा ट्रक पर लोड करके ऊंचाई वाले इलाकों में भेजा गया था. वहां पर इस रॉकेट ने दुश्मन के ठिकानों की धज्जियां उड़ा दी थी. सभी पाकिस्तानी दुश्मनों को पहाड़ पर बनाए अपने बंकरों को छोड़कर भागना पड़ा या फिर मारे गए. क्योंकि ये रॉकेट इतनी गति से हमला करता है कि दुश्मन को संभलने का मौका ही नहीं मिलता.