महाकुंभ में डुबकी लगाकर भावुक हुए आशुतोष राणा, बोले- ‘आस्था की अद्भुत अनुभूति’

0 85

मुंबई: उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। देश-विदेश से आए भक्त आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। इसी कड़ी में बॉलीवुड अभिनेता आशुतोष राणा भी मंगलवार को महाकुंभ पहुंचे और संगम में स्नान किया। उन्होंने इस अनुभव को बेहद भावुक पल बताया। उन्होंने बताया कि महाकुंभ में स्नान के साथ-साथ उन्होंने दान भी किया, जिससे उन्हें आत्मिक शांति मिली।

मीडिया से बातचीत में आशुतोष राणा ने कहा कि “मैंने आज महाकुंभ में आकर संगम में स्नान किया। सभी जानते हैं कि महाकुंभ के मेले में आकर संतों के दर्शन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। मैं भी इसी कड़ी में यहां आया हूं और संतों के दर्शन करके अत्यंत प्रसन्न हूं। विशेष रूप से, मैंने पहली बार शंकराचार्य के दर्शन किए, जिन्होंने मुझे ढेर सारा आशीर्वाद दिया। यह अनुभव मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगा।”

स्नान के साथ दान का महत्व
महाकुंभ के महत्व पर बात करते हुए आशुतोष राणा ने कहा, “महाकुंभ देश में चार स्थानों पर आयोजित होता है, लेकिन प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है। यह स्थान विशेष इसलिए भी है क्योंकि यहां मां गंगा, मां यमुना और विलुप्त सरस्वती का संगम होता है। महाकुंभ में स्नान करना तन की पवित्रता के लिए आवश्यक है, दान करना धन की पवित्रता के लिए और ध्यान करना मन की शुद्धि के लिए। आज मैंने स्नान और दान दोनों किए, जिससे मुझे आध्यात्मिक संतोष प्राप्त हुआ।”

गुरुदेव की अनुपस्थिति का अफसोस
प्रयागराज में कुंभ मेले से अपने गहरे संबंध को शेयर करते हुए एक्टर ने बताया कि उन्होंने लगातार दो कुंभ और दो अर्धकुंभ में स्नान किया है। साथ ही, वे हर साल माघ मेले में भी शामिल होते रहे हैं। हालांकि, इस बार महाकुंभ में आते समय उन्हें अपने गुरुदेव पंडित देव प्रभाकर शास्त्री की अनुपस्थिति का गहरा दुख हुआ। उन्होंने कहा, “पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं अपने पूज्य गुरुदेव की गैरमौजूदगी में यहां आया हूं। मेरे लिए यह एक भावुक पल है क्योंकि जब भी मैं इस स्थान पर आया हूं, तो अपने परम पूज्य गुरुदेव के साथ ही आया हूं। अब वह हमारे बीच नहीं हैं, जिसका मुझे गहरा अफसोस है।”

आशुतोष राणा की इस यात्रा से यह स्पष्ट होता है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मिक और भावनात्मक जुड़ाव का भी प्रतीक है। यह अनुभव उन्हें हर बार आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, जिससे वे न केवल खुद को आस्थावान महसूस करते हैं, बल्कि अपने संस्कारों को भी और अधिक मजबूत करते हैं।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.

15:21