एएसआई ने पेश की डेढ़ हजार पन्नों की रिपोर्ट, सीलबंद लिफाफे में वाराणसी कोर्ट में पेश की गई सर्वे की रिपोर्ट

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वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एएसआई के सर्वे रिपोर्ट पर हर किसी की नजर टिक गई है। अदालत के आदेश पर एएसआई ने साइंटिफिक सर्वे का काम पूरा कराया गया। सर्वे की प्रक्रिया पूरी होने के बाद रिपोर्ट देने को लेकर लगातार एएसआई की ओर से समय की मांग की जा रही थी। अब तक चार बार रिपोर्ट जमा किए जाने को लेकर समय की मांग की गई। वाराणसी कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान एएसआई को 18 दिसंबर को सर्वे रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया। सोमवार को एएसआई की टीम वाराणसी कोर्ट पहुंची। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सर्वे रिपोर्ट को जमा कराया गया है। रिपोर्ट के जमा कराए जाने के साथ ही कोर्ट परिसर में हलचल तेज हो गई। इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर श्रृंगार गौरी केस का भविष्य काफी हद तक टिका हुआ है। इसके अलावा मस्जिद पर हिंदू पक्ष के दावों को भी रिपोर्ट से बड़ा बल मिल सकता है। ऐसे में सर्वे रिपोर्ट को जमा किए जाने की सुगबुगाहट के बीच मुस्लिम पक्ष भी एक्टिव हुआ। मुस्लिम पक्ष की ओर से एएसआई की सर्वे रिपोर्ट की मांग की गई है।

ज्ञानवापी जिला कोर्ट में 21 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। सीलबंद लिफाफे में 1500 पन्नों की रिपोर्ट एएसआई की ओर से जमा कराई गई। इसके अलावा एएसआई टीम ने ज्ञानवापी परिसर से मिले साक्ष्यों और सबूतों को भी कोर्ट के समक्ष रखा। जांच के क्रम में तैयार किए गए वीडियो फुटेज भी कोर्ट में पेश किए जाने की चर्चा है। एएसआई सर्वे रिपोर्ट जमा कराए जाने के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने अगली सुनवाई 21 दिसंबर को किए जाने का आदेश दिया। एएसआई सर्वे रिपोर्ट की कॉपी याचिकाकर्ताओं को दिए जाने के मामले पर इस दिन सुनवाई होगी। याचिकाकर्ताओं को इस दिन कोर्ट की कॉपी मिल सकती है। कॉपी लिए जाने पर सुनवाई के बाद इस केस में आगे की कार्रवाई का निर्धारण होगा।

हिंदू पक्षकार के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया है कि अच्छी रिपोर्ट आएगी। अभी हमें रिपोर्ट की कॉपी नहीं मिली है। कॉपी मिलने के बाद इसका अध्ययन करेंगे। वकील ने कहा कि कोर्ट में एएसआई ने रिपोर्ट पेश कर दी है। सर्वे में तीन माह से अधिक समय लगा था। एएसआई की 40 सदस्यीय टीम ने सर्वे किया। इसकी रिपोर्ट में हिंदू प्रतीक चिह्नों के पाए जाने पर रिपोर्ट आनी है। मुस्लिम पक्ष पूरा जोर लगा रहा है कि इस रिपोर्ट को किसी भी स्थिति में सार्वजनिक नहीं होने दिया जाए।

एएसआई ने जिला कोर्ट में साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट को पेश करने एएसआई के अधिकारी वाराणसी कोर्ट परिसर पहुंचे। उनके आने के साथ ही कोर्ट परिसर में हलचल तेज हो गई। हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में हिंदू प्रतीक चिह्नों के रहने के कारण इसके आदि विश्वेश्वर का मंदिर होने का दावा किया जाता रहा है। इसके बाद साइंटिफिक सर्वे का कार्य पूरा कराया गया। दावा किया जा रहा है कि एएसआई ने करीब डे़ढ़ हजार पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी है। इस पर लगातार हर पक्ष की नजर बनी हुई है।

एएसआई की सर्वे रिपोर्ट को लेकर मुस्लिम पक्ष की ओर से याचिका दायर की गई। इसमें मांग की गई कि सीलबंद लिफाफे में सर्वे रिपोर्ट पेश किया जाए। बिना हलफनामा के सर्वे रिपोर्ट नहीं दिया जाएगा। मुस्लिम पक्ष ने किसी भी स्थिति में सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने की मांग की है। साथ ही, सर्वे रिपोर्ट को लेकर कई मांग भी की गई।

ज्ञानवापी एएसआई सर्वे रिपोर्ट जमा कराए जाने को लेकर बड़ा दावा किया जा रहा है। एएसआई की टीम आज कोर्ट में साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट जमा करा सकती है। इसको लेकर हलचल तेज हो गई है। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर श्रृंगार गौरी के दैनिक पूजा संबंधी याचिका पर अहम निर्णय हो सकता है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में एएसआई को सर्वे रिपोर्ट जमा करानी है। इसको लेकर कई प्रकार के दावे भी किए जाने लगे हैं।

वाराणसी कोर्ट में पिछली तारीख पर एएसआई के वकील ने अतिरिक्त समय की मांग की थी। वकील ने जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश से कहा था कि एएसआई के सुप्रीटेंडेंट अविनाश मोहंती कोर्ट में उपस्थित होकर रिपोर्ट दाखिल करने में असमर्थ हैं। उनका ब्लड प्रेसर हाई है। कोर्ट ने उनकी अपील पर 18 दिसंबर की तारीख तय कर दी। दरअसल, एएसआई को पिछले 11 दिसंबर को रिपोर्ट दाखिल करनी थी, लेकिन रिपोर्ट दाखिल नहीं की जा सकी।

वाराणसी कोर्ट ने श्रृंगार गौरी केस में ज्ञानवापी परिसर का सर्वे आदेश जारी किया था। कोर्ट की ओर से 21 जुलाई को यह आदेश जारी किया गया। 3 अगस्त तक एएसआई को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया। लेकिन, मुस्लिम पक्ष इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चला गया। इस कारण 24 जुलाई से शुरू हुई एएसआई सर्वे का काम रुक गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाई कोर्ट को रेफर किया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 3 अगस्त को जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सील किए गए वजूखाना क्षेत्र को छोड़कर परिसर के सर्वे का आदेश जारी कर दिया।

 

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