Astrological Rules for Roti: बासी आटे से बनी रोटी बढ़ाती है घर में परेशानी, राहु से हैं ये संबंध, जानिए रोटियों से जुड़े ज्योतिषीय नियम

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नई दिल्ली: आजकल महिलाएं खाना बनाते समय एक साथ ज्यादा आटा गूंथ लेती हैं और रोटी बनाने के बाद बचा हुआ आटा फ्रिज में रख देती हैं. जरूरत पड़ने पर इस आटे से फिर से रोटी बनाई जाती है। इससे उन्हें आटा गूंथने के लिए बार-बार मेहनत नहीं करनी पड़ती है. आटा स्टोर करना सुविधाजनक होता है, लेकिन ज्योतिष की दृष्टि से इसे अच्छा नहीं माना जाता है। ज्योतिष में रोटियों का ग्रहों से संबंध भी बताया गया है और इसके बारे में सभी नियमों का उल्लेख किया गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो परिवार में समस्याओं का चक्र समाप्त नहीं होता है और सुख-समृद्धि चली जाती है। यहां जानिए रोटियों से जुड़े ज्योतिषीय नियम

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोटियों का संबंध सूर्य और मंगल से माना जाता है क्योंकि रोटी हमारे शरीर को ऊर्जा देने का काम करती है। लेकिन जब हम आटे को फ्रिज में रखकर इस्तेमाल करते हैं तो वह बासी हो जाता है। बासी आटे का संबंध राहु से माना जाता है। राहु मानसिक स्थिति को संतुलित नहीं रहने देता। ऐसे में जब घर के सदस्य इस आटे से बनी रोटियां खाते हैं तो उनमें भ्रम और झगड़ों की प्रवृत्ति होती है, उनकी आवाज तेज हो जाती है, सहनशक्ति कम हो जाती है। निर्णय लेना प्रभावित होता है। ऐसे में कई बार ये गलत फैसले ले लेते हैं। इससे घर में कलह और कलह पैदा होती है। अगर आप वाकई घर में शांति चाहते हैं तो रोजाना ताजा आटा गूंथ कर रोटी बनाएं।

बासी आटे के नुकसान के वैज्ञानिक पक्ष पर नजर डालें तो बासी आटे में बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जो हमारे शरीर को ऊर्जा नहीं देते बल्कि हमें सुस्त और बीमार कर देते हैं। ऐसे में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इसका असर हमारी आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है। आजकल लोगों के बीच गिन कर रोटियां बनाने का चलन शुरू हो गया है. लोगों का मानना ​​है कि इससे बर्बादी नहीं होती है। लेकिन ज्योतिष की दृष्टि से गिनकर रोटियां बनाना शुभ नहीं माना जाता है। इससे परिवार की समृद्धि प्रभावित होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी को अपने परिवार की जरूरत के हिसाब से जितनी रोटियां बनानी है, उससे 4 या 5 ज्यादा रोटियां बनानी चाहिए. पहले के समय में कई बार घर में अचानक मेहमान आ जाया करते थे, इसलिए उन्हें भूखा नहीं रहना पड़ता था। आज के समय में मेहमानों का यह चलन बेशक कम हो गया है, लेकिन फिर भी आशीर्वाद के लिए कम से कम दो और रोटियां बनानी चाहिए. अगले दिन उन्हें जानवरों और पक्षियों को खिलाएं।

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