लखनऊ: योगी सरकार ने जेल में बंद सपा के कद्दावर नेता आजम खान को बड़ा झटका दिया है. कैबिनेट की बैठक में सरकार ने आजम खान के जौहर यूनिवर्सिटी को दी गई जमीन छीन ली है. सपा सरकार के दौरान आजम ने रामपुर के मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का भवन समेत पूरा कैंपस 99 साल की लीज पर मौलाना मोहम्मद जौहर ट्रस्ट को दिलाया था. करीब 100 करोड़ रुपये की इस 3825 वर्ग मीटर संपत्ति के लिए मात्र 100 रुपये सालाना किराया तय किया गया था.
इसके लिए आजम खान ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के साथ एक करार भी किया था, लेकिन अब सरकार ने इसी करार की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए लीज कैंसिल की है. मंगलवार की सुबह 11 बजे लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में विभिन्न विभागों से आए करीब दर्जन भर प्रस्तावों पर चर्चा हुई, जिसमें शिक्षा विभाग की ओर से इस जमीन का प्रस्ताव भी शामिल था. सरकार ने इस प्रस्ताव पर विचार करते हुए एक झटके में जमीन वापस वापस लेने का फैसला किया है.
इस फैसले के तहत अब आजम खान के ऑफिस के साथ रामपुर पब्लिक स्कूल की जमीन को भी खाली कराया जाएगा. बता दें कि बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने यह मुद्दा उठाया था. इसमें विधायक ने आरोप लगाया था कि आजम खान ने लीज की शर्तों का उल्लंघन किया है. बता दें कि आजम खान ने तोपखाना रोड स्थित सरकारी जमीन पर पार्टी का कार्यालय दारूल अवाम और रामपुर पब्लिक स्कूल बनवाया था.यह जमीन भी लीज पर थी. अब लीज निरस्त होने के बाद सरकार जल्द ही इसे अपने कब्जे में ले लेगी.
आरोप है कि आजम खान ने सपा सरकार में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए शिक्षा विभाग से राजकीय मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के भवन और जमीन को लीज पर लिया था. वहीं तोपखाना रोड पर अपना कार्यालय दारूल अवाम और रामपुर पब्लिक स्कूल की स्थापना कराई थी. दरअसल, जिस बिल्डिंग में दारुल आवाम है, उसमें जिला विद्यालय निरीक्षक का ऑफिस था, वहीं रामपुर पब्लिक स्कूल के भवन में जिला बेसिक शिक्षाधिकारी का कार्यालय था.
आजम ने साल 2012 ये भवन मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के नाम पटटा करा लिए थे. इस पट्टे के विलेख के बिंदु संख्या-7 में यह साफ तौर पर लिखा है कि आवंटित भूमि पर एक साल में यूनिवर्सिटी बनाकर संचालन शुरू कर दिया जाएगा. इसी में प्रावधान किया गया कि इस जमीन को किसी अन्य उपयोग में नहीं लाया जाएगा. इसी आधार पर विधायक ने डीएम को शिकायत दी थी. डीएम ने जांच की और रिपोर्ट शासन को भेजी. अब इसी रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने लीज निरस्त किया है.
इसी के साथ सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की जांच के लिए डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ के नेतृत्व में एक जांच कमेटी का भी गठन किया गया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक आजम खान ने जब इस जमीन पर कब्जा लिया था, उस समय यहां 4000 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. बावजूद इसके आजम खान के प्रभाव के चलते किसी अधिकारी ने आपत्ति करने की हिम्मत नहीं दिखाई और जमीन को खाली कराकर आजम खान को सौंप दिया गया. उस समय उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार तो थी ही, खुद आजम खान कैबिनेट मंत्री थे और उनके पास नगर विकास, अल्पसंख्यक कल्याण जैसे सात मजबूत विभाग थे.