Ambedkar Jayanti 2022 : बाबा सहाब जिन्होने दिखाया समाज को एक नया आइना , जानिए उनके बारे में कुछ अनकही बातें
Ambedkar Jayanti 2022 : ” मैं एक समुदाय की प्रगति को उसकी डिग्री से मापता हूं ” ऐसी ना जाने कितनी महान धाराओ से समाज के लिए अनगिनत काम करने वाले बाबा सहाब की जयतीं आज है । सविधांन के जनक और समाज में जातिगस भेदभाव को दूर करने के लिए उन्होने अपनी जिदंगी की आखिरी साँस तक लड़ाई की थी ।
संविधान के निमार्ता डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती हर साल 14 अप्रैल को देशभर में मनाई जाती है । बाबा साहब देश के ऐसे एक शख्स थें, जिनकी तुलना शायद किसी से करना मुर्खता होगी । उन्होंने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निमार्ण में सबसे बड़ा योगदान दिया है । बाबा साहब ने हमेशा से कमजोर और पिछड़ें वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ते हुए नजर आए थे । बचपन से ही उन्होने समाजिक भेदभाव के चक्कर में प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी ।
उनके जीवन के बारे में
आज के इस जयंती को जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने के योगदान के रुप में मनाया जाता है । उन्होंने जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध कर समाज में सुधार लाने ना जाने कितने काम किये थे ।
आगरा जिले से था बाबा साहब की कहानी
उन्होंने 18 मार्च, 1956 को यूपी के आगरा जिले में आए थें. यहां उन्होंने रामलीला मैदान में बड़ी सभा को संबोधित किया था. इसके साथ ही बाबा साहब ने चक्कीपाट में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा अपने हाथों से स्थापित की . यह मूर्ति आज भी पूर्वोदय बुद्ध विहार में देखी जा सकती है. दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर की नजर में आगरा बहुत अहम माना जाता है ।
पहली बार आगरा आगमन में ही डॉ. अंबेडकर ने भांप लिया था कि आगरा दलित आंदोलन में मील का पत्थर साबित माना जाएगा । उन्होंने अपने ऐतिहासिक भाषण में बौद्ध धर्म को ग्रहण करने की इच्छा जताते हुए कहा था कि मैं जिस धर्म को आपको दे रहा हूं, उसका आधारा बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय है. बता दें, यहां से जाने के लगभग नौ माह बाद 6 दिसम्बर, 1956 को डॉ. अंबेडकर का देहांत हो गया था .
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रिर्पोट – शिवी अग्रवाल