बंगलूरू : कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू अपने टेक उद्योग और भीड़ के लिए खास जानी जाती है। इसी को लेकर एक चौंकाने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि शहर को हर साल करीब 20 हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसका कारण यहां का ट्रैफिक है, जिसकी वजह से घंटों-घंटों लोग जाम में फंसे रहते हैं। ऐसे में समय तो बर्बाद होता ही है, वहीं ईंधन भी खपत होता है।
बता दें, यातायात विशेषज्ञ एमएन श्रीहरि और उनकी टीम द्वारा किए गए अध्ययन में सड़क योजना, फ्लाईओवर, यातायात प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की कमी से जुड़े मुद्दों पर गौर किया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि शहर में 60 फ्लाईओवर होने के बावजूद, यहां पैदल वालों के लिए सड़क पर जगह न होना, सिग्नल पर लंबे समय तक वाहनों के रुकने, तेज रफ्तार से चलने वाले वाहनों की वजह से अन्य की गति पर प्रभाव पड़ना, ईंधन और समय के दुरुपयोग के कारण 19,725 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईटी क्षेत्र में बढ़ते रोजगार के कारण यहां घरों और शिक्षा जैसी सभी संबंधित सुविधाओं का विकास हुआ है। साथ ही जनसंख्या में 1.45 करोड़ वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, कर्नाटक की राजधानी में करीब 1.5 करोड़ वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल बंगलूरू का विस्तार 88 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 985 वर्ग किलोमीटर हो गया। वहीं, अध्ययनकर्ताओं ने प्रस्ताव दिया गया है कि शहर का विस्तार 1,100 वर्ग किलोमीटर तक होना चाहिए।
श्रीहरि और उनकी टीम का कहना है कि जनसंख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। आबादी बढ़ने के साथ ही यहां रोजगार भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में आबादी और रोजगार की संभावित गति मौजूदा ढांचागत विकास के साथ मेल नहीं खाती है। इसकी वजह से शहर को हर साल करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, सड़क की कुल लंबाई करीब 11 हजार किलोमीटर है, जो परिवहन और यात्राओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। श्रीहरि ने नुकसान से बचाने के लिए सुझाव दिया है कि शहर को रेडियल सड़कों, रिंग रोड की जरूरत है, जिसमें विशिष्ट रिंग ओआरआर, पीआरआर और एसटीआरआर शामिल हों। इसके अलावा, हर पांच किमी के लिए एक सर्कुलर रूट भी हो जो बदले में रेडियल सड़कों से जुड़ा हो।