चंडीगढ़ : पंजाब के किसान आज यानी 6 दिसंबर, 2024 को दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में किसान शंभू बॉर्डर पर एकत्र हो रहे हैं, लेकिन हरियाणा सरकार ने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए सख्ती बढ़ा दी है। हरियाणा ने शंभू और जींद के खनौरी बार्डर पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है और किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए कई सुरक्षा उपाय लागू किए हैं।
हरियाणा प्रशासन ने शंभू बॉर्डर पर पक्की बैरिकेडिंग फिर से शुरू कर दी है। इसके अलावा, प्रशासन ने शंभू बार्डर पर धारा 163 (पूर्व में धारा 144) लागू कर दी है, जिसका मतलब है कि अब पांच या उससे अधिक लोग एकत्र नहीं हो सकते। पुलिस ने शंभू से करीब 500 मीटर की दूरी पर सुरक्षा कड़ी कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर किसान पैदल मार्च पर निकलते हैं, तो स्थिति बिगड़ सकती है। किसानों के लिए हरियाणा में जगह-जगह धरने और विरोध प्रदर्शन का खतरा भी बना हुआ है।
टीकरी बार्डर को सील करना शुरू कर दिया गया है
दिल्ली पुलिस ने भी तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने टीकरी बार्डर को सील करना शुरू कर दिया है, जहां पर लोहे और सीमेंट के बैरिकेड्स लगाए जा रहे हैं और ट्रकों में मिट्टी भरे कट्टे भी लाए जा रहे हैं। हरियाणा की गृह सचिव डा. सुमिता मिश्रा ने किसान नेताओं से अपील की है कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के सामने अपनी बात रखें ताकि कोई समाधान निकाला जा सके।
किसानों के खिलाफ जो बर्ताव किया जा रहा है, वह बिल्कुल गलत है
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि पहले जत्थे का नाम ‘मरजीवड़ा जत्था’ रखा गया है। यह जत्था शंभू बॉर्डर से पैदल दिल्ली कूच करेगा। पंधेर ने यह भी कहा कि किसान बातचीत के लिए तैयार हैं, चाहे वह चिट्ठी केंद्र सरकार से आए या फिर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री कार्यालय से। उनका कहना है कि किसानों के खिलाफ जो बर्ताव किया जा रहा है, वह बिल्कुल गलत है और सरकार को वादे पूरे करने चाहिए।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने उपराष्ट्रपति को लिखा है पत्र
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने खनौरी बार्डर पर मरणव्रत के दसवें दिन उपराष्ट्रपति को पत्र लिखकर केंद्र सरकार से उनकी मांगें पूरी करने की अपील की है। डल्लेवाल ने पत्र में लिखा कि प्रधानमंत्री ने एमएसपी को लेकर किसानों से वादा किया था, लेकिन वह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है। इसके अलावा, लखीमपुर खीरी के पीड़ितों को मुआवजा देने का वादा भी अधूरा है।