भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। इस वर्ष ‘दीपावली’ का महापर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को है। धन-धान्य की मनोकामना और सुख-सौभाग्य की वर्षा करने वाले इस पावन पर्व पर भगवान गणेश-लक्ष्मी की पूजा का बड़ा महत्व है।
धनतेरस के दिन तमाम नई चीजों के साथ दीपावली के दिन की जाने वाली विशेष पूजा के लिए गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति खरीदकर घर लाई। लेकिन, मूर्ति खरीदने से जुड़े नियम जानना जरूरी है। आइए जानें-
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, दिवाली पूजा के लिए गणेश जी की मूर्ति लेते समय यह जरूर देख लें कि उनकी सूंड़ बाईं तरफ मुड़ी हुई हो। इसी प्रकार उनके एक हाथ में मोदक और उनके पैर के पास उनकी सवारी चूहा जरूर बना हुआ हो। इस तरह की मूर्तिया खरीदना शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, गुलाबी रंग वाली माता लक्ष्मी की मूर्ति को बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है। माता लक्ष्मी की मूर्ति को खरीदते समय यह भी देख लें कि, मां लक्ष्मी कमल या हाथी पर विराजमान हों और उनके एक हाथ में कमल तथा दूसरे हाथ से धन का आशीर्वाद मिल रहा हो। साथ ही साथ यह भी देख लें कि उनके पैर के पास उल्लू भी बना हुआ हो ।
ऐसी मूर्ति नहीं लेनी चाहिए जिसमें लक्ष्मी गणेश जी खड़े हो। देवी देवता आराम से आसन ग्रहण करके आशीर्वाद दें ऐसे भाव वाली मूर्ति शुभ होती है।
आजकल वैसे बाजार में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां अधिक उपलब्ध है। लेकिन, मिट्टी की मूर्ति लेना ही शास्त्रसंमत है। यदि मिट्टी की अच्छी आकर्षक मूर्ति उपलब्ध हो तो उसको ही चुनना चाहिए ।
ज्योतिषियों का मानना है कि, गणपति जी की सूंड़ का भी बहुत महत्व है। गणपति की मूर्ति में उनकी सूंड उनके बाएं हाथ की तरफ मुड़ी होनी चाहिए। दाईं तरफ मुड़ी हुई सूंड तांत्रिक साधना हेतु उपयुक्त होती है। कई मूर्तियों में देखा गया है कि सूंड़ में दो घुमाव होते हैं, ऐसी मूर्ति भी नहीं लेनी चाहिए।