इस्लामाबाद : पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार के विरोध में एक बड़ा अभियान छेड़ने वाली है। इसके लिए पीटीआई ने एलान किया है कि वह 13 अप्रैल को बलूचिस्तान में नवगठित विपक्षी दलों के महागठबंधन के साथ मिलकर एक बड़ी जनसभा करेगी।
पार्टी की ओर से शुक्रवार को कहा गया कि इस रैली का उद्देश्य मौजूदा सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर जन आंदोलन शुरू करना है। पीटीआई कोर कमेटी की बैठक में बलूचिस्तान के पिशिन जिले में आगामी 13 अप्रैल की रैली पर चर्चा हुई। इस दौरान फैसला लिया गया कि पीटीआई और सहयोगी पार्टियां संयुक्त रूप से महागठबंधन के मंच से एक जन आंदोलन शुरू करेंगी और पहली बड़ी जनसभा 13 अप्रैल को पिशिन में होगी।
बता दें, पीटीआई ने उन पार्टियों के साथ गठबंधन किया है, जिन्होंने आठ फरवरी के चुनाव के नतीजों पर आपत्ति जताई थी। विरोध करने वाली पार्टियां बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (बीएएनपी), पश्तूनख्वा मिल्ली आवामी पार्टी (पीएकेएमपी), जमात-ए-इस्लामी (जी), मुत्ताहिदा वहदत-उल-मुस्लिमीन (एमओएम) आदि थीं।
रिपोर्ट के अनुसार, पार्टियों ने एक समझौता किया है कि पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी) के प्रमुख महमूद खान अचकजई गठबंधन का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा अचकजई जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान से संपर्क करने की कोशिश की जाएगी ताकि उन्हें गठबंधन में शामिल होने के लिए राजी किया जा सके। जेयूआई के प्रमुख के साथ बैठक के बाद गठबंधन की औपचारिक घोषणा की जाएगी।
इसके बाद, पीटीआई कोर कमेटी ने पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं विशेष रूप से आलिया हमजा और सनम जावेद को एक अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद उनकी फिर से गिरफ्तारी और रिमांड की निंदा की। वहीं, बैठक में इमरान खान और उनकी पत्नी सहित सभी नेताओं की तत्काल रिहाई की भी मांग की गई। समिति ने खैबर-पख्तूनख्वा (के-पी) में सीनेट चुनाव स्थगित करने की भी निंदा की और इसे संविधान का उल्लंघन करार दिया।
बैठक में पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) से पार्टी के भीतर होने वाले चुनावों के बाद पीटीआई के ‘बल्ले’ के चुनाव चिह्न को बहाल करने की मांग की गई। बयान में कहा गया है कि पार्टी के भीतर चुनाव के बाद ईसीपी द्वारा पार्टी को उसके चुनाव चिह्न से वंचित करने का कोई औचित्य नहीं था।