बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार ने राज्य में अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सरकारी नौकरियों तथा शैक्षणिक अवसरों में आंतरिक आरक्षण की पड़ताल के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच एन नागमोहन दास के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। एक सरकारी आदेश में इस बात की जानकारी दी गयी। मंगलवार को जारी आदेश के अनुसार, आयोग आंकड़े एकत्र करेगा तथा नौकरियों व शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न अनुसूचित उप-जातियों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए दो महीने के भीतर सिफारिशें करेगा।
मंत्रिमंडल की बैठक में हुआ था फैसला
आदेश बुधवार को मीडिया के साथ साझा किया गया। सरकार ने कहा कि एक अलग आदेश में आयोग के कामकाज के लिए संदर्भ की शर्तें, कार्यालय व्यवस्था, वाहन, कर्मचारी, मानदेय तथा अन्य प्रावधानों की रूपरेखा तैयार की जाएगी। आयोग का गठन 28 अक्टूबर को मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए फैसले के बाद किया गया है। मंत्री पाटिल ने मंत्रिंडल की बैठक के बाद कहा था कि एससी के बीच आंतरिक आरक्षण प्रदान करने के संबंध में कर्नाटक में मांग, चर्चा तथा विचार-विमर्श हुआ। एससी के बीच आंतरिक आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के मद्देनजर, कैबिनेट ने आज एससी के बीच आंतरिक आरक्षण प्रदान करने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है।
अपने फैसले में क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
एक अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, जो सामाजिक रूप से विषम वर्ग बनाते हैं, जिससे सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण मिल सके। पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में सर्वोच्च अदालत के पांच न्यायाधीशों की पीठ के 2004 के फैसले को खारिज कर दिया था।