नई दिल्ली: कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। उन्हें 2016 से महंगाई भत्ते के साथ ही वेतनमान का मुनाफा दिया जाएगा।” समान काम के लिए समान वेतन” सुविधा यहां लागू की जाएगी। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 3 महीने के अंदर भुगतान की प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कर्मचारियों को बड़ी राहत दी गई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्यरत संविदा नसों को अब महंगाई भत्ते के साथ ही नियमित नसों को दिए जाने वाले न्यूनतम वेतन का भी भुगतान किया जाएगा। समान काम के लिए समान वेतन की व्यवस्था लागू की जाएगी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वेतन का भुगतान 19 सितंबर 2016 से पूर्व व्यापी प्रभाव से लागू किया जाएगा। वहीं 3 महीने के अंदर आदेश का अनुपालन किया जाए। जस्टिस विकामेश्वर तथा जस्टिस अनूप कुमार की पीठ ने चिकित्सालयों में काम करने वाले नर्सों की मानवीय सेवा पर अपना फैसला देते हुए कहा कि नर्सों मूल्यवान मानवीय सेवा करती है क्योंकि वह चिकित्सकों की सहायता करती है तथा मरीजों की व्यक्तिगत देखभाल करती है इसलिए ऐसे लोगों को उनकी सेवा के लिए पर्याप्त मुआवजे से वंचित किया जाना न्याय का मजाक बनाना है। बता दे कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा संविदा नर्सों की अपील पर सुनवाई की जा रही थी। जिसमें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के 2016 के आदेश को चुनौती दी गई थी। इसमें एम्स में काम करने वाले नियमित स्टाफ नर्सो के समान वेतन तथा लाभ की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिकित्सालयों से नसों को समान कार्य के समान भुगतान के निर्देश दिए हैं।
उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के बीते फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता एम्स में काम करने वाली स्टाफ नर्सो के सामान्य की मांग कर रही है, जो सामान करता भी निभाती है तथा सामान जिम्मेदारी रखती हैं। उन्हें पर्याप्त मुआवजा देने से मना नहीं किया जा सकता। ऐसे में नियमित स्टाफ नर्सो को मिल रहे वेतनमान और महंगाई भत्ते के समान ही भुगतान संविदा पर कार्यरत नसों को किया जाएगा। याचिकाकर्ता ने कहा कि शुरुआत में, उन्हें 11,750 रुपये के मासिक वेतन पर अनुबंध के आधार पर स्टाफ नर्स के रूप में नियुक्त किया गया था। हालाँकि, बाद में इसे बढ़ाकर 28,000 रुपये कर दिया गया। इसके विपरीत, नियमित स्टाफ नर्सों को 56,800 रुपये का मासिक वेतन मिलता है। अस्पताल ने दावा किया कि याचिकाकर्ता को बिना किसी पक्षपात के अन्य संविदा कर्मचारियों के बराबर भुगतान किया जा रहा है। उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद, संविदा नर्सों को अब 19 सितंबर, 2016 से मुद्रास्फीति भत्ते सहित अपना वेतन मिलेगा। उनका वेतन भी बढ़कर 56,800 रुपये हो जाएगा। अदालत ने निर्देश दिया है कि सभी नर्सों को तीन महीने के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।