झारखंड में हेमंत सरकार का बड़ा फैसला, ‘मंईयां सम्मान योजना’ की राशि बढ़ाई

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रांची। झारखंड में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने बहुचर्चित ‘मंईयां सम्मान योजना’ के तहत महिलाओं को अब हर महीने एक हजार के बदले 2,500 रुपए देने का निर्णय लिया है। सोमवार को सीएम की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई। राज्य की कैबिनेट सेक्रेटरी वंदना डाडेल ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अभी 18 से 50 वर्ष की करीब 50 लाख महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जा रही है। अब तक तीन किस्तों की राशि उनके बैंक खातों में भेजी जा चुकी है। दिसंबर महीने से उन्हें बढ़ी हुई राशि का लाभ दिया जाएगा। इस प्रकार उन्हें सालाना 12 हजार रुपए के बदले 30 हजार दिए जाएंगे। बताया गया कि इसका लाभ 53 लाख महिलाओं को मिलेगा। इस बढ़ोतरी की वजह से राज्य सरकार को इस योजना में लगभग नौ हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा। कैबिनेट का यह निर्णय हेमंत सोरेन सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है।

इस योजना के लागू होने के बाद सरकार की ओर से राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिला सम्मान यात्रा निकाली जा रही है। 5 अक्टूबर को भारतीय जनता पार्टी ने ‘मंईयां सम्मान योजना’ के जवाब में ‘गोगो दीदी योजना’ लाने का ऐलान किया था, जिसके तहत राज्य में पार्टी की सरकार बनने पर प्रतिमाह महिलाओं को 2,100 रुपए की राशि देने का वादा किया गया है।भाजपा की इस घोषणा के बाद अब हेमंत सोरेन सरकार ने ‘मंईयां सम्मान योजना’ शुरू होने के दो माह के भीतर से इसकी राशि ढाई गुनी बढ़ा दी है।

कैबेनिट की बैठक में कुल 29 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार झारखंड के 62 हज़ार पारा शिक्षकों (सहायक शिक्षक) को ईपीएफ का लाभ दिया जाएगा। इस मांग को लेकर उन्होंने 15 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था। कैबिनेट ने राज्य में दिव्यांग और अनाथ बच्चों की उच्च शिक्षा के दौरान उनकी ट्यूशन फीस सरकारी खजाने से चुकाने का भी निर्णय लिया है।

राज्य में माइनॉरिटी स्कूल के रूप में संचालित मदरसों को पूरी तरह राज्य योजना के तहत संचालित करने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगाई गई। कैबिनेट में लिए गए एक अन्य फैसले के अनुसार, असम में रह रहे झारखंड के 15 लाख आदिवासियों को झारखंड सरकार की ओर से लाभान्वित करने के लिए विशेष योजना लाई जाएगी। इन आदिवासियों को असम में एसटी का दर्जा नहीं मिला है।

कैबिनेट की ओर से मंजूर किए गए प्रस्ताव के अनुसार, राज्य सरकार की ओर से एक सर्वदलीय टीम इन आदिवासियों की स्थिति के अध्ययन के लिए असम जाएगी और उसकी रिपोर्ट पर उनके कल्याणार्थ और सहायतार्थ योजनाएं शुरू की जाएंगी।

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