ज्ञानवापी के तहखाने में व्यास जी के तहखाने में वाराणसी की अदालत ने पूजा-पाठ की इजाजत दे दी है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने डीएम को सात दिन के अंदर पूजा-पाठ के प्रबंध करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की ओर से रखे गये पुजारी यहां पूजा करेंगे। पूजा के लिए लोहे के बाड़ हटाकर रास्ता देने के लिए भी डीएम को आदेश किया गया है।
पिछले ही हफ्ते अदालत के आदेश पर व्यास जी के तहखाने की चाबी डीएम ने अपने कब्जे में ली थी। हिन्दू पक्ष के वकील आज के फैसले को राममंदिर का ताला खुलवाने जैसा मान रहे हैं। इस तहखाने पर 1993 से पहले पूजा पाठ होती थी। अयोध्या में विवादित ढांचा ढहने के बाद ज्ञानवापी के चारों तरफ प्रशासन ने लोहे की बैरिकेडिंग कर दी थी। इससे तहखाने में जाने का रास्ता बंद हो गया था और पूजा पाठ भी बंद हो गई थी।
काशी विश्वनाथ मंदिर में बने नंदी के ठीक सामने स्थित ज्ञानवापी के इस तहखाने में 1993 से पहले सोमनाथ व्यास का परिवार नियमित पूजा पाठ करता था। लोहे की बैरिकेडिंग लगने से वहां आना-जाना बंद हो गया औऱ पूजा पाठ भी बंद हो गई थी। पिछले साल जब ज्ञानवापी में स्थित शृंगार गौरी में पूजा की इजाजत समेत कई मामले दाखिल हुए तो तहखाने में भी दोबारा पूजा पाठ के लिए व्यास जी के नाती शैलेंद्र व्यास ने अदालत से गुहार लगाई थी।
उन्होंने याचिका दायर कर कहा कि वर्ष 1993 से तहखाने में पूजा पाठ बंद हो गई। वर्तमान में यह तहखाना अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पास है। तहखाने को डीएम की निगरानी में सौंपने के साथ वहां दोबारा पूजा शुरू करने की अनुमति दी जाए। अदालत के 17 जनवरी को डीएम को तहखाने को अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया। इसके बाद 24 जनवरी को तहखाना डीएम ने अपनी सुपुर्दगी में ले लिया था।
मंगलवार को भी इस पर सुनवाई हुई और नियमित पूजा पाठ की मांग का विरोध करते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ता ने आपत्ति जताते हुए दलील दी कि अदालत ने केवल रिसीवर नियुक्त करने का जिक्र किया है। उसमें पूजा अधिकार का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए वाद को निस्तारित मानते हुए खारिज किया जाए।