Bihar News: बारिश के अभाव में खून के आंसू रो रहे किसानों ने इन्द्र देव को लिखी चिट्ठी

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बेगूसराय: सावन का महीना रिमझिम फुहार और बारिश का महीना माना जाता है। लेकिन इस वर्ष सात दिन सावन बीत जाने के बावजूद वर्षा की बूंदे धरती पर नहीं आ रही है, जिसके कारण किसानों में त्राहिमाम मच गया है। बारिश नहीं होने के कारण धान के बिचड़े सुख रहे हैं तो दूसरी ओर खेतों में लगी धान की फसल सूख कर बर्बाद हो रही है। फसल बचाने के लिए किसान पंपसेट चलाकर खेतों में पानी दे रहे हैं, लेकिन वह कोई काम का नहीं आ रहा है। जिसके कारण खेतों में पड़ी दरार को देखकर किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं। बेगूसराय जिले में बारिश के अभाव में खरीफ मक्का की खेती थी 25 प्रतिशत कम हुई है, लक्ष्य के मुताबिक 53 हजार 773 के बदले 40 हजार मक्का की खेती हो सकी है।

बिहार सरकार ने मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में सूखे की इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों को डीजल पर 60 रुपये लीटर अनुदान देने की घोषणा किया है, लेकिन जब बिचड़ा सूख जाएगा, फसल बर्बाद हो जाए तो वह अनुदान किस काम का। जिले चार सौ से अधिक नलकूप हैं, लेकिन सभी नलकूप कागज पर ही चल रहे हैं। यहां तो सब कुछ कागज पर ही हो रहा है तो स्वाभाविक रूप से किसान भगवान भरोसे जिएंगें।

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जुलाई महीने में अब तक 150 एमएम बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक करीब 48 एमएम यानी 19 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है। जिसके कारण दस हजार सात सौ 63 हेक्टेयर धान लगाने से लक्ष्य के विरुद्ध मात्र दो हजार हेक्टेयर में धान लगाई गई है। एक ओर खेतों में लगाई गई धान बारिश के आभाव में सूख रही है, तो दूसरी ओर सुख रहे बिछड़े इस वर्ष उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की सच्चाई बयान कर रहे हैं।

बारिश नहीं होने के कारण केवल किसान ही परेशान नहीं है, बल्कि भीषण उमस भरी गर्मी और तेज धूप के कारण आमजन एवं पशुपालक भी काफी परेशान हैं। मौसम के इस बेरुखी से हैरान-परेशान उत्तर प्रदेश के गोंडा के लोगों ने जहां देवराज इन्द्र पर प्राथमिकी दर्ज कराई है। वहीं, बिहार से अब इन्द्र भगवान को पत्र भेजकर उनके बारिश विभाग की अनियमितताओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।

इन्द्र भगवान को चिट्ठी लिखना सुनने में अटपटा जरूर लगे, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक पत्र इसकी सच्चाई बयां कर रहा है। देवराज इन्द्र को लिखे गए पत्र के विषय में वर्षा विभाग में व्याप्त अनियमितताओं के संबंध में ध्यान आकृष्ट कराया गया है। आर्यावर्त बिहार प्रक्षेत्र के भूलोकवासी द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि श्रीमान देवराज इन्द्र महोदय, आषाढ़ मास बीत गया। सावन अपने सप्तमी तिथि में प्रवेश कर गया है। आज तक आपके बादलों ने हमारे क्षेत्र की ओर दृष्टिपात करने की आवश्यकता नहीं समझी। मैं जानता हूं कि आप उसे भेजते तो इसी क्षेत्र में हैं, लेकिन यह अपनी निजी लिप्सा या किसी अन्य कारण से कहीं और पहुंच जाता है।

श्रीमान नारद मुनि ने आपको अवश्य बताया होगा कि यह मनमाने बादल किस प्रकार कुछ क्षेत्रों में पहुंचकर फट पड़ते हैं और तांडव मचा देते हैं। अभी इसने जम्मू कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक भीषण तांडव किया है, लेकिन हमारे क्षेत्र में इन्हें झांकने का भी अवकाश नहीं है। इन बादलों की मनमानी के प्रति आपकी उदासीनता ने हमें बहुत चिंतित किया हुआ है। इधर सूर्य देवता हैं कि प्रातः होने से पहले ही अग्निवर्षा के लिए व्याकुल रहते हैं। ऐसा लगता है कि सूर्यदेव अपनी पूरी कृपा हम पर ही बरसा देना चाहते हैं।

बादलों की प्रतीक्षा में टकटकी लगाए धरती माता की आंखें पथरा सी गई है, लेकिन यह बादल उद्दंड बालक की तरह पिचकारी में पानी भरकर फेंकता है और भाग खड़ा होता है। उपर्युक्त आशय से संबंधित परिवाद हमने पहले भी आपको प्रेषित किया था, कदाचित वह आपतक पहुंचा ही नहीं हो। हमारे सरकारी विभाग में ऐसा होना कोई अचरज की बात नहीं है। इसलिए आज निबंधित डाक से यह प्रार्थना पत्र भेज रहा हूं। आशा है आप इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए सम्यक कार्रवाई करने की अनुकंपा करेगें।

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