नई दिल्ली: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर जबरदस्त हिंसा चल रही है, जिसने देश में कानून व्यवस्था को बुरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। बांग्लादेश में रह रहे सैकड़ों भारतीयों (Indians) के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है। बांग्लादेश में भड़की हिंसा की आग ने भारत में राजनीतिक बयानबाजी बढ़ा दी है। रविवार को पश्चिम बंगाल सीएम ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) ने हिंसा प्रभावित इलाकों से भारत पहुंच रहे लोगों को राज्य में शरण देने की पेशकश दी थी। ममता के बयान की भाजपा (BJP) ने आलोचना की।
ममता के इस बयान के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के नेता रविशंकर प्रसाद ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, यह अधिकार भारत सरकार का है, राज्य सरकार का नहीं। रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आगे कहा, ‘ममता बनर्जी ने कल कहा था कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है, वह अपने दरवाजे खुले रखेंगी और किसी को भी पश्चिम बंगाल में प्रवेश नहीं करने देंगी। ममता जी, आप वही व्यक्ति हैं जिन्होंने सीएए के बारे में कहा था कि हम हिंसा से पीड़ित किसी भी हिंदू, सिख, पारसी या ईसाई शरणार्थी को बंगाल में प्रवेश नहीं करने देंगे।
ममता जी ने हमेशा सीएए का विरोध किया है, जबकि सीएए का भारत के नागरिकों से कोई संबंध नहीं है, चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम। उन्होंने ये भी कहा, ‘ममता जी, अखिलेश यादव और राहुल गांधी संविधान की बात करते रहते हैं। क्या संविधान में आपका अधिकार है? यह अधिकार भारत सरकार का है। यह अधिकार राज्य सरकार का नहीं है।’ बीजेपी नेता ने ये भी कहा कि यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है और हम अनुरोध करते हैं कि इस मामले को सुलझाया जाए। हमें इसमें नहीं पढ़ना है। अगर एक मुख्यमंत्री घोषणा करता है तो इसका क्या मतलब है? क्या आप भारत की एकता को तोड़ना चाहते हैं? ममता जी मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपका इससे क्या मतलब है। बंगाल रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर और सुभाष चन्द्र बोस जैसे लोगों की जननी है।
वहीं, भाजपा नेता अमित मालवीय ने इसे चुनाव जीतने के लिए पड़ोसी देश से अवैध प्रवासियों को बसाने की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि यह इंडिया गठबंधन की नापाक योजना है। भाजपा आईटी विभाग के हेड अमित मालवीय ने दूसरे देश से आने वाले किसी भी व्यक्ति को आश्रय देने के ममता बनर्जी के अधिकार पर सवाल उठाया और कहा कि आव्रजन और नागरिकता विशेष रूप से केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्यों के पास ऐसे मामलों में कोई अधिकार नहीं है।
ममता पर निशाना साधते हुए मालवीय ने कहा कि कभी वह कहती हैं कि वह उन हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने और उनके वैध अधिकार प्राप्त करने की अनुमति नहीं देंगी, जो धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए भारत आए थे। उन्होंने आरोप लगाया, “अगर वे जोर देंगे तो वह तृणमूल कांग्रेस को वोट देने वाले अवैध रोहिंग्याओं से ट्रेनें जलाने, सड़कें जाम करने और लोगों की हत्या करने को कहेंगी।”
दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कोलकाता की एक रैली में कहा था कि बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर वह पड़ोसी देश से संकट में फंसे लोगों के लिए अपने राज्य के दरवाजे खुले रखेंगी और उन्हें आश्रय देंगी।