नई दिल्ली : पूर्वोत्तर भारत के ईसाई बहुल राज्यों मेघालय व नगालैंड में भाजपा (BJP) की बढ़ती पैठ आने वाले समय में इस क्षेत्र की राजनीति को तो काफी प्रभावित करेगी ही, साथ ही उसका असर देश के अन्य हिस्सों पर भी पड़ेगा। भाजपा ने इन दोनों राज्यों में अपने विरोधियों के साथ चर्च के एक वर्ग के विरोध के बावजूद अपनी स्थिति मजबूत की है। दोनों राज्यों में भाजपा ने बड़ी संख्या में ईसाई उम्मीदवार भी उतारे थे। भाजपा ने नगालैंड में 12 व मेघालय में तीन साटों पर जीत दर्ज की है।
धर्मांतरण मुद्दे पर भाजपा के रुख को लेकर चर्च का एक बड़ा वर्ग भाजपा से दूरी बनाकर रखता है और ईसाई बहुल नगालैंड व मेघालय में भाजपा के लिए यह एक बड़ी राजनीतिक चुनौती भी रहा है। हालांकि, बीते वर्षों में भाजपा ने इस स्थिति को बदलने की बड़ी कोशिश की है। दोनों राज्यों में उसके पदाधिकारियों से लेकर उम्मीदवारों तक बड़ी संख्या ईसाई समुदाय के लोगों की है। हिंदुत्व व बीफ के मुद्दों को भी भाजपा ने यहां पर एक तरफ रखा और स्थानीय मुद्दों व विकास पर जोर दिया।
गौलतलब है कि नगालैंड की 80 फीसद और मेघालय की 75 फीसद आबादी ईसाई है। भाजपा ने बीते सालों में दोनों राज्यों में गठबंधन सरकारों में विकास के एजेंडे को लागू कर व केंद्र की विभिन्न योजनाओं के जरिए अपनी विकास की छवि को मजबूत किया है। इसका असर इन राज्यों के युवाओं में देखने को मिलता है और वह भाजपा का समर्थन भी करते हैं। दोनों राज्यों में चर्च ने परोक्ष रूप से भाजपा से दूरी बनाई थी। इसके बाबजूद भाजपा को खासी सफलता मिली है।
मेघालय में भाजपा ने 1993 से विधानसभा चुनाव लड़ना शुरू किया था। यह तीसरा मौका है, जब भाजपा ने दो सीटें जीती हैं। 1998 में भाजपा को तीन सीटें मिली थी। पार्टी को 1993 व 2013 के चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी। 2003 में दो व 2008 में एक सीट मिली थी। पिछले 2018 के चुनाव में भाजपा ने 9.63 फीसदी वोट के साथ दो सीटें जीती थी। तब पार्टी 47 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस बार भाजपा ने 59 सीटों के चुनाव में 9.20 फीसद वोट के साथ दो सीटें जीती हैं।
नगालैंड में भाजपा को 2003 में सात, 2008 में दो, 2013 में एक और पिछले 2018 के चुनाव में 12 सीटें मिली थी और उसने गठबंधन सरकार भी बनाई थी। इस बार उसे 20 सीटों पर चुनाव लड़ कर 18.83 फीसद वोटों के साथ 12 सीटें मिली हैं। गौलतलब है कि भाजपा ने इन दोनों राज्यों में 80 सीटों में से 75 सीटों पर ईसाई व गैर हिंदू उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें अधिकांश ईसाई थे। ऐसे में भाजपा को देश भर में ईसाई समुदाय की अपने प्रति हिचक को दूर करने में भी मदद मिलेगी।