नई दिल्ली: अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं और आपके पास भी बीएस-4 या उससे पुरानी डीजल कार है तो उसकी पार्किंग की तैयारी कर लें। दरअसल, दिल्ली सरकार 1 अक्टूबर, 2022 से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में चल रहे पुराने डी डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने जा रही है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा नई नीति तैयार की गई है जिसके तहत दिल्ली-एनसीआर में अगर वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 से ऊपर जाता है तो दिल्ली सरकार डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का कदम उठाएगी।
नई नीति त्योहारों के आने के पहले शुरू हो जाएगी। हर साल सर्दियों की शुरूआत से ही पराली जलाने, वाहनों के धुंए और अन्य कारणों से दिल्ली-एनसीआर धुंध की चपेट में आ जाता है। इस वजह से दिल्ली की हवा में अति सूक्ष्म कणों (पार्टिकुलेट मैटर) की मात्रा 450 से ऊपर चली जाती है और हवा जहरीली हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए अब डीजल वाहनों पर आंशिक रूप से प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया है। प्रतिबंध केवल बीएस-4 और उससे नीचे के मानकों पर चल रहे डीजल वाहनों पर लगाया जाएगा। सरकार ने एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और आवश्यक सेवाओं में लगे पुराने डीजल वाहनों को प्रतिबंध से बाहर रखा है। यह प्रतिबंध दूसरे राज्यों से आने वाले पुराने डीजल वाहनों पर भी समान रूप से लागू होंगे।
नई नीति के तहत अगर आपके पास वाहन का वैध पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं है तो आपको पेट्रोल नहीं दिया जाएगा। इस नियम को 1 जनवरी 2023 से दिल्ली-एनसीआर के सभी पेट्रोल पंप पर लागू किया जाएगा। दिल्ली समेत एनसीआर के तहत आने वाले सभी राज्यों को सीएनजी और एलएनजी स्टेशनों तो तैयार करने के लिए सूचित किया गया है, ताकि क्षेत्र में स्वच्छ ईंधन से चलने वाले वाहनों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जा सके। इसके अलावा राज्य सरकारों को वाहन कबाड़ नीति (Vehicle Scrapping Policy) को लागू करने का भी निर्देश दिया गया है।
दिल्ली परिवहन विभाग जल्द ही बिना वैध पीयूसी (पाॅल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट) वाले वाहनों को ई-चालान भेजने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। दिल्ली परिवहन विभाग ने जुलाई के अंतिम महीने में बिना वैध पीयूसी वाले वाहन चालकों को नोटिस भेजना शुरू किया था। ऐसे वाहनों को पीयूसी बनवाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था। जानकारी के मुताबिक, ऐसे 2,000 वाहनों को नोटिस के जरिये सूचित किया गया है। दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग के अनुसार नोटिस के बाद भी पीयूसी नहीं बनवाने वाले लोगों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने की तैयारी की जा रही है।
पुराने वाहनों को जहां हर दो से तीन महीने में पीयूसी कराने की जरूरत होती है, वहीं नए बीएस-4 वाहनों को साल में एक बार ही पीयूसी कराना जरूरी है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, हर दिन 10 से 15 हजार वाहनों का पीयूसी कराया जाता है। हालांकि, दिल्ली में बगैर वैध पीयूसी वाले वाहनों की संख्या 15 लाख से भी अधिक है और इनमें से अधिकांश दोपहिया वाहन हैं। राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। वर्तमान में दिल्ली में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को एनओसी नहीं दिया जा रहा है लेकिन सरकार इन्हें अन्य राज्यों में चलाने के लिए एनओसी दे रही है जहां ऐसे वाहन प्रतिबंधित नहीं है।