पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को मांग की कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि की जाए और गरीब महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह दिए जाएं। बिहार में नीतीश कुमार सरकार द्वारा इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सोमवार को अपना आखिरी बजट पेश किया जाना है जिससे एक दिन पहले यादव ने यह मांग की। विधानसभा में विपक्ष के नेता यादव ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार राज्य में सभी उपभोक्ताओं के लिए 200 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा करेगी। वित्त विभाग संभालने वाले उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सोमवार को विधानसभा में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राज्य का बजट पेश करेंगे।
पत्रकारों से बातचीत में तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार को बिहार के लोगों के हितों की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार ने पिछले 20 वर्षों से सामाजिक सुरक्षा पेंशन में कोई वृद्धि नहीं की है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, विधवाओं और दिव्यांगजनों को दी जाने वाली राशि को मौजूदा 400 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये प्रति माह किया जाना चाहिए, जो देश में सबसे कम है।
गरीब महिलाओं के लिए तेजस्वी का ऐलान
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि हम सामाजिक सुरक्षा पेंशन में पर्याप्त वृद्धि, गरीब और वंचित वर्गों की महिलाओं को 2500 रुपये प्रति माह देने और राज्य के सभी उपभोक्ताओं को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की एनडीए सरकार को इन मांगों को स्वीकार करना चाहिए और अगले वित्त वर्ष के बजट में इन पहलों की घोषणा करनी चाहिए। राजद नेता ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण को 50 प्रतिशत से 65 प्रतिशत करने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती महागठबंधन सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में वंचित जातियों के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया जिससे बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण के आलोक में कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो गया।
भाजपा पर आरक्षण खत्म करने का आरोप
तेजस्वी यादव ने दावा किया कि जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ भाजपा ने अदालत का रुख किया और पूरे मामले को कानूनी लड़ाई में उलझा दिया उन्होंने भाजपा पर आरक्षण को समाप्त करने और आरक्षण में हेरफेर करने का आरोप लगाया और कहा कि हम आरक्षण की बहाली चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि 65 प्रतिशत आरक्षण लागू न होने के कारण, एससी/एसटी, ओबीसी और ईबीसी (आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग) के उम्मीदवारों को सीधे 16 प्रतिशत आरक्षण का नुकसान हो रहा है।