नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया’ (PM-SHRI) योजना को मंजूरी दी। इसके तहत देश भर में 14,500 स्कूलों को आर्दश विद्यालय के रूप में विकसित किया जाएगा। इन स्कूलों में केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों को भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा कैबिनेट ने रेलवे की जमीन को लॉन्ग टर्म के लिए लीज पर उठाने का भी फैसला लिया है। पीएम गति शक्ति फ्रेमवर्क के तहत इन जमीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इन जमीनों पर अगले 5 सालों में 300 कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि अगले 90 दिनों में पीएम गति शक्ति योजना पर अमल किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ही पीएम-श्री स्कीम का ऐलान किया था। इस स्कीम का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत इन स्कूलों को शुरू किया जाएगा। पीएम मोदी ने कई ट्वीट करते हुए लिखा था, ‘आज शिक्षक दिवस के मौके पर मैं एक नए प्रयास का ऐलान करता हूं। प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया के तहत देश भर के 14,500 स्कूलों का अप्रगेडेशन किया जाएगा। ये मॉडल स्कूल के तौर पर विकसित होंगे, जिन्हें न्यू एजुकेशन पॉलिसी की भावना के तहत विकसित किया जाएगा।’
इन स्कूलों को आधुनिक शिक्षा के लिहाज से तैयार किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि इन स्कूलों को मॉडर्न इन्फ्रास्ट्रक्चर के तहत तैयार किया जाएगा। इनमें नई तकनीक स्मार्ट क्लासरूम, स्पोर्ट्स और अन्य चीजों के हिसाब से तैयार किया जाएगा। इससे पहले जून में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस स्कीम के बारे में जानकारी दी थी। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक जिन 14,500 स्कूलों को इस योजना के तहत चुना जाएगा, वे ज्यादातर केंद्र सरकार की ओर से संचालित हो रहे हैं। इसके अलावा कुछ स्कूलों को राज्य सरकार की ओर से चलाया जा रहा है।
आदर्श विद्यालयों में सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित, प्रोत्साहित करने वाले शैक्षिक वातावरण में सीखने एवं विविध अनुभव प्रदान करने वाली अच्छी ढांचागत व्यवस्था एवं समुचित संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही गई है। इसमें स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाना तथा बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जाएगा। शिक्षा तक पहुंच सुगम बनाकर स्कूल बीच में छोड़ने को हतोत्साहित किया जाएगा। ये स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन में मदद करेंगे और अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता के अनुकरणीय विद्यालयों के रूप में उभरेंगे।