कलकत्ता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली मामले में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। इन सभी की जांच कोर्ट की निगरानी में की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को नई ईमेल आईडी खोलकर संदेशखाली घटना से जुड़ी शिकायतें जमा करनी होंगी। संदेशखली को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में कुल पांच जनहित याचिका दायर की जा चुकी हैं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संदेशखाली मामले की गंभीरता को देखते हुए इसमें कोई शक नहीं है कि मामल की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। हमारी राय है कि जांच एजेंसी को राज्य को भी सहयोग देना चाहिए। हाईकोर्ट ने आगे कहा कि सीबीआई एक रिपोर्ट दाखिल करेगी और जमीन हड़पने की जांच भी करेगी। एजेंसी के पास आम लोगों, सरकारी विभागों, गैर-सरकारी संगठनों (NGO) आदि सहित किसी से भी पूछताछ करने की शक्ति होगी।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने आगे कहा कि कोर्ट पूरे मामले की बारीकी से निगरानी करेगा। 15 दिनों के अंदर सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए जाने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जरूरत के हिसाब से एलईडी स्ट्रीट लाइटें भी लगाई जानी हैं। इस सबका का खर्च बंगाल सरकार के द्वारा वहन किया जाएगा। इसके बाद संदेशखाली मामले को 2 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
बीते गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने संदेशखाली की घटनाओं को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने संदेशखाली में हिंसा के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामला बेहद ही शर्मनाक है। यह राज्य की सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हर एक व्यक्ति को सुरक्षा दे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि संदेशखाली मामले में जिला प्रशासन और बंगाल सरकार दोनों को ही नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
संदेशखाली में स्थानीय महिलाओं ने आरोप लगाए थे कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने हमारी जमीनें कब्जा लीं हैं। कुछ महिलाओं ने इन टीएमसी के ही नेताओं पर दुष्कर्म के आरोप लगाए थे। इस मुद्दे पर बंगाल की राजनीति में सियासी ऊफान आ गया था। दरअसल, संदेशखाली मामले का मुख्य आरोपी तृणमूल नेता शाहजहां शेख है। शाहजहां शेख प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर हमले का भी आरोपी है। साथ ही, बंगाल के राशन घोटाले में भी उसका नाम है। यही वजह है कि भाजपा ने इस मुद्दे पर ममता सरकार को घेर लिया और सरकार पर आपराधिक तत्वों को शह देने का आरोप लगाया।