ओटावा: कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने इस साल की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा के लिए सीमा लागू की थी। विदेशी छात्रों की संख्या को कम करने के लिए ये कार्यक्रम शुरू किया गया है। कनाडा विदेशी छात्रों के लिए अपने दीर्घकालिक वीजा कार्यक्रम पर कड़ी नजर रख रहा है, ये सरकार की धीमी आप्रवासन और जनसंख्या वृद्धि की दिशा में नीति में बदलाव का संकेत है। जीवनयापन की बढ़ती हुई लागत, आवास की कमी और बढ़ती बेरोजगारी के चलते सरकार पर बढ़े दबाव के बाद यह कदम उठाया गया है। इमिग्रेशन मिनिस्टर मिलर ने भी कनाडा सभी छात्रों को रुकने की इजाजत नहीं दे सकता है। उन्होंने बड़ी आप्रवासी आबादी वाले क्षेत्रों में बढ़ते नस्लवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि आप्रवासन पर कनाडा अपनी समझ बदल रहा है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने कहा कि सरकार आप्रवासन को श्रम बाजार की मांगों के साथ संरेखित करने के लिए प्रांतों के साथ काम कर रही है। मिलर ने इस बात पर जोर दिया कि स्टडी वीजा को भविष्य के निवास या नागरिकता की गारंटी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को खुद को शिक्षित करने के लिए यहां आना चाहिए और शायद घर जाकर उन कौशलों को अपने देश में वापस लाना चाहिए।
कनाडा पारंपरिक रूप से कुशल अप्रवासियों को आकर्षित करने के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर निर्भर रहा है लेकिन इस साल की शुरुआत में कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा पर एक सीमा लागू की। इससे पिछले साल के 4,37,000 की तुलना में इस साल 300,000 से कम नए परमिट मिलने का अनुमान है। अब सरकार इस बात पर फोकस कर रही है कि इनमें से किसे छात्र-छात्राओं को पढ़ाई पूरी करने के बाद रेजिडेंसी दी जाए।
कनाडा के मिलर ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए उपलब्ध नौकरियां उनकी योग्यता के अनुरूप हों। उन्होंने कुछ प्रांतों में श्रम की कमी के मद्देनजर स्नातकोत्तर कार्य परमिट के आवंटन पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विदेशों से अनकैप्ड या अनियंत्रित ड्रॉ का तर्क अब नहीं रह गया है।
हाल के वर्षों में स्नातकोत्तर वर्क परमिट रखने वाले कनाडाई लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो 2022 में 132,000 नए धारकों तक पहुंच गई है, जो चार साल पहले की तुलना में 78 फीसदी की वृद्धि है। सरकार अस्थायी विदेशी कर्मचारी कार्यक्रम की भी समीक्षा कर रही है, जिसके दुरुपयोग के लिए आलोचना की गई है। मिलर का लक्ष्य देश में अस्थायी निवासियों के अनुपात को लगभग 7 से घटाकर 5 प्रतिशत करना है।