नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के करीब पांच करोड़ अंशधारकों को वर्ष 2021-22 के लिए भविष्य निधि जमा पर 8.1 प्रतिशत ब्याज की मंजूरी दी है. यह ईपीएफ पर चार दशकों में सबसे कम ब्याज दर है।
इसी साल मार्च में ही EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) ने 2021-22 के लिए देय ब्याज दर को 2020-21 के लिए 8.5 फीसदी से घटाकर 8.1 फीसदी करने का फैसला किया था. ईपीएफओ कार्यालय के शुक्रवार को जारी आदेश के मुताबिक श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 2021-22 के लिए ईपीएफओ अंशधारकों को 8.1 फीसदी ब्याज की मंजूरी की जानकारी दी है. श्रम मंत्रालय ने यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजा था।
सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अब ईपीएफओ कर्मचारियों के ईपीएफ खातों में ब्याज की राशि जोड़ना शुरू करेगा। ईपीएफ जमा पर 8.1 फीसदी ब्याज 1977-78 के बाद से सबसे कम है। उस समय ब्याज दर 8 प्रतिशत थी। सीबीटी में कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले ट्रस्टी केई रघुनाथन ने कहा कि जिस गति से श्रम और वित्त मंत्रालयों ने कर्मचारियों को धन की आवश्यकता को देखते हुए ब्याज दर को मंजूरी दी है, वह वास्तव में सराहनीय है। इससे उन्हें अपने बच्चों की शिक्षा और अन्य जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
सीबीटी ने मार्च 2021 में 2020-21 के लिए ईपीएफ जमा पर 8.5 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया था। वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर 2021 में इसे मंजूरी दी थी। उसके बाद ईपीएफओ ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को 2020-21 के लिए ईपीएफ खातों में 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज जमा करने का निर्देश दिया था।
EPFO ने मार्च 2020 में 2019-20 के लिए प्रॉविडेंट फंड डिपॉजिट पर ब्याज दर को सात साल के निचले स्तर 8.5 फीसदी कर दिया था. इससे पहले 2018-19 में यह 8.65 फीसदी थी। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए EPF की ब्याज दर 2012-13 के बाद सबसे कम थी। उस समय इसे घटाकर 8.5 प्रतिशत कर दिया गया था।
ईपीएफओ ने अपने ग्राहकों को 2016-17 के लिए 8.65 फीसदी और 2017-18 के लिए 8.55 फीसदी ब्याज दिया था। इससे पहले वित्त वर्ष 2015-16 में ब्याज दर 8.8 फीसदी थी। जबकि 2013-14 और 2014-15 में ब्याज दर 8.75 फीसदी थी। यह 2012-13 में चुकाए गए 8.5 फीसदी ब्याज से ज्यादा था। वित्तीय वर्ष 2021-12 में कर्मचारी भविष्य निधि जमा पर ब्याज 8.25 प्रतिशत रखा गया था।