नई दिल्ली : देशभर में वक्फ बोर्ड (संशोधन) के प्रस्तावित विधेयक को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच यह खबर सामने आ रही है कि सरकार इससे संबंधित विधेयक को इसी सप्ताह सदन में पेश कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार के रणनीतिकार इस विधेयक को पहले राज्यसभा में पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि वित्त विधेयक के पारित होने के बाद ही सरकार इस विधेयक को सदन में पेश कर सकती है।
राज्यसभा में सांसदों का आंकड़ा भाजपा के पक्ष में नहीं है। लेकिन, सरकार के रणनीतिकारों को यह लगता है कि एनडीए के सहयोगी दलों के साथ ही अन्य विपक्षी दलों के सहयोग से वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को उच्च सदन से पारित करवाया जा सकता है।
राज्यसभा में इस विधेयक को पेश करने की एक और बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जो कभी भंग नहीं होता है और ना ही इसमें पेश किया गया विधेयक कभी लैप्स होता है। सरकार के सूत्रों के मुताबिक, वक्फ की संपत्ति को मुस्लिम समुदाय के लिए अधिक पारदर्शी और ज्यादा लाभदायक बनाने के साथ ही वक्फ बोर्ड को भारतीय न्याय व्यवस्था के अंतर्गत लाने के लिए ये संशोधन विधेयक लाने का फैसला किया गया।
बताया जा रहा है कि मोदी सरकार अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के जरिए पिछले कई वर्षों से मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों के साथ इसे लेकर विचार-विमर्श कर रही थी। सरकार के मुताबिक, मुस्लिम समाज के गरीबों और महिलाओं के साथ ही मुस्लिम वर्ग के बुद्धिजीवियों की तरफ से वफ्फ बोर्ड के कानून में बदलाव की मांग की जा रही थी।
बताया जा रहा है कि सरकार वक्फ बोर्ड के कानून में बदलाव लाकर उसे न्यायिक व्यवस्था के अंतर्गत ला सकती है। नए कानून के लागू होने के बाद वक्फ बोर्ड के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकेगी। प्रस्तावित संशोधन कानून में वक्फ बोर्ड के संपत्ति नामित करने के अधिकार को सीमित करने के अलावा संपत्ति के दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन जैसे कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हो सकते हैं।