नई दिल्ली : चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से शुरू हो रह हैं, जिनका समापन 17 अप्रैल को होगा। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाएगी। इन नौ दिनों में मां जगदंबे की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के अनुसार इस बार मां दुर्गा की सवारी अनहोनी की ओर इशारा कर रही है, क्योंकि इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। घोड़े पर सवार होकर माता रानी का धरती पर आगमन शुभ नहीं माना जाता है। इससे कई गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं।
ज्योतिषाचार्य मुकुंद बल्लभ भट्ट ने बताया कि वैसे तो माता रानी सिंह (शेर) की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्र में धरती पर आते समय उनकी सवारी बदल जाती है। मां जगदंबे की सवारी नवरात्र के प्रारंभ होने वाले दिन पर निर्भर करती है। नवरात्रि का प्रारंभ जिस दिन होता है, उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है। ठीक इसी प्रकार से वह जिस दिन विदा होती हैं, उस दिन के आधार पर प्रस्थान की सवारी तय होती है।
इस साल 09 अप्रैल दिन मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है। दिन के आधार पर इस साल मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी। घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता, तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है। जबकि माता रानी हाथी पर प्रस्थान करेंगी। हाथी की सवारी काफी शुभ मानी जाती है। जिससे माता रानी भक्तों को सुख समृद्धि देकर विदा होंगी।
ऐसे करें पूजा
इस बार माता घोड़े पर आ रही हैं, जो कि शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में इस नवरात्र में माता की पूजा क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना नितांत आवश्यक है। प्रत्येक दिन विधिवत पूजा करने के बाद क्षमा प्रार्थना करने से माता प्रसन्न होंगी और शुभ फल देंगी।
09 अप्रैल-. शैलपुत्री
10 अप्रैल- ब्रह्मचारिणी
11 अप्रैल- चंद्रघंटा
12- अप्रैल-कूष्मांडा
13 -अप्रैल स्कंदमाता
14 अप्रैल- कात्यायनी.
15 अप्रैल- कालरात्रि
16 अप्रैल-महागौरी
17 अप्रैल -.सिद्धिदात्री