नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे का लाभ लेने की कोशिश में है। सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की रणनीति से कमान केंद्र के हाथों में हैं। चुनाव के बाद केंद्र ही राज्यों का भावी नेतृत्व तय करेगा। भाजपा ने विधानसभा चुनावों को भी लोकसभा के मोड में लाया हुआ है। पार्टी को उम्मीद है कि इस रणनीति से उसे लाभ मिलेगा।
भाजपा की लोकसभा चुनावों की तैयारी बीते डेढ़ साल से चल रही है। चुनावी राज्यों में भी पार्टी की रणनीति के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं और उपलब्धियों की चर्चा ही सबसे ज्यादा है। भाजपा के विभिन्न केंद्रीय नेता भी अपने भाषणों में राज्यों के मुद्दों से ज्यादा केंद्र सरकार के कामकाज को ही फोकस कर रहे हैं। दरअसल, विधानसभा चुनावों में वह सामूहिक नेतृत्व में चुनाव में जा रही है। यानी विधानसभा चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावों तक पार्टी के केंद्र में मोदी ही रहेंगे। राज्यों के नेतृत्व का भविष्य भी केंद्रीय नेतृत्व चुनावों के बाद करेगा। भाजपा को उम्मीद है इस रणनीति का उसे लाभ मिलेगा।
यही वजह है कि भाजपा के निशाने पर कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन है, जिससे उसे लोकसभा चुनावों में सीधा सामना करना है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भी भाजपा के केंद्रीय नेता राज्यों के कांग्रेस के नेतृत्व से उलझने के बजाए उसके केंद्रीय नेतृत्व को निशाना बना रहे हैं, जिससे उसे ज्यादा लाभ मिल सके और लोकसभा के माहौल मे ही विधानसभा चुनाव लड़ा जा सके। साथ ही मोदी की लोकप्रियता का लाभ विधानसभा चुनावों में भी ले सके।
वैसे भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के चार महीने के भीतर ही लोकसभा के चुनाव भी शुरू हो जाएंगे। ऐसे में भाजपा राज्यों के चुनाव में भी केंद्र की योजनाओं का सबसे ज्यादा प्रचार कर रही है। भाजपा की रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा डबल इंजन सरकार का है। ऐसे में वह राज्य के विकास के लिए केंद्र व राज्य दोनों जगह अपनी सरकार के लिए जनता का समर्थन मांग रही है।
विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में भाजपा विपक्ष में हैं। मिजोरम में भी सत्त्ता में नहीं है, बल्कि उसकी गठबंधन की सहयोगी एमएनएफ सत्ता में है। केवल मध्य प्रदेश में ही वह सत्ता में है। ऐसे में उसके पास केंद्र की उपलब्धियां ही सबसे ऊपर है। मध्य प्रदेश में भाजपा के पास अपनी सरकार काम गिनाने के लिए कई आंकड़े हैं, जिनका मुख्यमंत्री व अन्य नेता उनका इस्तेमाल भी कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय नेताओं के अभियान के केंद्र में केंद्र सरकार की उपलब्ध्यिां ही सबसे ऊपर है।