Chhatrapati Shivaji Jayanti : महाराजा छत्रपति शिवाजी की जयंती आज !

0 494

Chhatrapati Shivaji Jayanti भारतीय इतिहास में कई ऐसे पराक्रमी राजा हुए जिन्होनें अपनी मातृभूमि के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा दी। लेकिन कभी दुश्मनों के आगे घुटने नहीं टेके। और जब भी हम वीर पराक्रमी राजाओं की बात करते है तो हमारी जुबां पर पहला नाम छत्रपति शिवाजी महाराज का आता है। जिन्होनें मुगलों के आने के बाद देश में ढलती हिंदु और मराठा संस्कृति को नई जीवनी दी।

अपनी तेज रणनीति से अपनी अलग जगह बनाने वाले शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती शिवाजी जयंती आज के दिन मनाई जाती है । वे एक ऐसे योद्दा थे जिन्होंने भारतीय जनता को मुगल शासकों के अत्याचारों से आजाद करवाया था, उन्होनें मुगल शासकों का साहसीपूर्वक सामना कर मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। भारत भूमि शिवाजी महाराज जैसे महान योद्दाओं के जन्म से गौरान्वित हुई है।

उनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को पुणे के शिवनेरी किले में हुआ था। उन्हें 1674 में रायगढ़ में छत्रपति (सम्राट) के रूप में ताज पहनाया गया था और बाद में उनके द्वारा , एक अनुशासित सैन्य और प्रशासनिक संगठनों की मदद से एक प्रगतिशील नागरिक शासन की स्थापना की गई थी।

शिवाजी को अपनी अभिनव सैन्य रणनीति के लिए जाने जाते है जो अपने अधिक शक्तिशाली दुश्मनों को हराने के लिए भूगोल, गति और अद्भुद रणनीतिक का इस्तेमाल बखूबी करते थे.

छत्रपति शिवाजी को एक कुशल प्रशासक के रूप में जाना जाता है शिवाजी महाराज को हिन्दू धर्म की शिक्षा देने के साथ-साथ युद्ध कला, घुड़सवारी और राजनीति के बारे में बहुत कुछ सिखाया गया था साल 1640 और 1641 की बात है, जब महाराष्ट्र के बीजापुर पर विदेशी शासक समेत कई शासक अपना अधिकार जमाने के मकसद से बीजापुर पर हमला कर रहे थे। इसी दौरान महान और वीर शासक शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji )ने इनका मुकाबला करने का फैसला लिया और बेहद चतुराई के साथ रणनीति बनाई, जिसके तहत उन्होंने मावलों को बीजापुर के खिलाफ इकट्टा किया। यह वह वक्त था जब मुगल शासक औरंगजेब के पास उसका सबसे अधिक साहसी और बलशाली सेनापति जयसिंह नहीं था, हालांकि औरंगजेब ने शिवाजी महाराज – Shivaji Maharaj के खिलाफ अपने दो योद्धा दाउद खान और मोहब्बत खान को भेजा था, लेकिन अति शक्तिशाली, बलशाली और पराक्रमी शिवाजी महाराज की अदभुत शक्ति के सामने दोनों ही योद्धाओं को हार का मु्ंह देखना पड़ा। वहीं इस बीच बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह की मौत हो गई।

यह वह समय था जब बीजापुर की सल्तनत कमजोर पड़ने थी। वहीं इसके बाद मुगल साम्राज्य के छठवें शासक औरंगजेब ने शिवाजी महाराज के साहस और शक्ति को देखकर उन्हें राजा मान लिया था। वह एक अच्छे सेनानायक के साथ एक अच्छे कूटनीतिज्ञ भी थे। कई जगहों पर उन्होंने सीधे युद्ध लड़ने की बजाय कूटनीति से काम लिया था। लेकिन यही उनकी कूटनीति थी, जो हर बार बड़े से बड़े शत्रु को मात देने में उनका साथ देती रही।

शिवाजी महाराज की “गनिमी कावा” नामक कूटनीति, जिसमें शत्रु पर अचानक आक्रमण करके उसे था , आज उन्हे उनकी तेज रणनीति और उदारनीति के लिए याद किया जाता है .

Chhatrapati Shivaji Jayanti

रिर्पोट -शिवी अग्रवाल

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.