प्रयागराज (Prayagraj) । अतीक अहमद और अशरफ (Ateeq Ahmed and Ashraf) की हत्या के बाद जिन दो लोगों की तलाश सबसे तेज है, वो हैं अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन और गुड्डू मुस्लिम (Shaista Parveen and Guddu Muslim) । पहले चर्चाएं थीं कि बेटे के अंतिम संस्कार में शाइस्ता पहुंच सकती हैं और आत्मसमर्पण कर सकती हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब अशरफ कि ससुराल तक शाइस्ता की खोज जारी है। दरअसल ‘शाइस्ता’ पस्तो भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘सुंदर।’ लेकिन आज शाइस्ता परवीन पर 50 हजार का इनाम रखा गया है और वह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल हैं।
पुलिसवाले की बेटी
शाइस्ता अचानक अपराधियों की लिस्ट (list of criminals) में नहीं आई हैं। जब भी अतीक और अशरफ जेल जाते थे, शाइस्ता ही बाहर रहकर उसके गोरखधंधे हैंडल किया करती थीं। आज शाइस्ता 50 साल की हो गई हैं। शाइस्ता की शिक्षा प्रयागराज में ही ली थी। उन्होंने 12वीं पास किया है। 1996 में अतीक से शादी के बाद वह भी गैंग की मुखिया की तरह काम करन लगीं। अतीक और शाइस्ता के पांच बेटे थे। इनमें से अब चार हैं। असद एनकाउंटर में मारा गया था। इसके अलावा अली और उमर जेल में हैं। दो बेटे अभी नाबालिग हैं और उन्हें सुधार गृह में रखा गया है। शाइस्ता एक पुलिसवाले की बेटी हैं।
शाइस्ता के पिता मोहम्मद हरून अब रिटायर हो चुके हैं। वह अपने परिवार के साथ प्रयागराज के ही दामूपुर में रहते हैं। शाइस्ता शादी से पहले अपने पिता के साथ सरकारी पुलिस क्वार्टर में ही रहती थीं। शाइस्ता अपने छह भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनका एक भाई मदरसे का प्रिंसिपल है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एक रिटायर्ड स्कूल टीचर ने शाइस्ता के बारे में बताया कि वह बहुत ही नम्र स्वभाव की थीं और हमेशा पैरंट्स टीचर मीटिंग में पहुंचती थीं।
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर उमेश पाल की हत्या मामले में शाइस्ता का नाम क्यों आया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शाइस्ता अपने पति अतीक से मिलने साबरमती जेल गई थीं। यहीं पर उमेश पाल की हत्या को लेकर दोनों ने चर्चा की। अतीक ने शाइस्ता से कहा कि जेल में फोन भिजवा दें। इसके लिए एक पुलिसवाले का नाम भी बताया। जेल में अतीक के पास फोन पहुंच गया और उसने उमेश पाल की हत्या की साजिश वहीं बैठे-पैठे रच दी। वहीं एक प्रॉपर्टी डीलर ने भी आरोप लगयाा था कि शाइस्ता उसको फोन करके बार-बार उगाही करती हैं।
उमेश पाल की हत्या के बाद से ही शाइस्ता फरार हैं। पुलिस के डोजियर के मुताबिक शाइस्ता के खिलाफ 2009 से चार केस दर्ज हुए हैं। एक केस हत्या का है और बाकी तीन धोखाधड़ी के हैं। तीनों ही केस सीजेएम की अदालत में हैं। 2021 में शाइस्ता एआईएमआईएम में शामिल हो गई थीं। इसके बाद जनवरी 2023 में बीएसपी में आ गईं। उन्हें उम्मीद थी की बसपा की तरफ से उन्हें मेयर का टिकट मिल जाएगा। हालांकि उमेश पाल की हत्या के बाद पार्टी ने अतीक और उसके परिवार से दूरी बना ली।