नई दिल्ली : चीन विवादित अक्साई चिन इलाके में लगातार बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है। अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन ने अक्साई चिन में कई सड़कों, चौकियों का निर्माण कर लिया है। साथ ही चीन के सैनिकों के लिए आधुनिक कैंप, हैलीपोर्ट बनाए जा रहे हैं। ब्रिटेन बेस्ड थिंक टैंक चेटहेम हाउस ने अक्तूबर 2022 से छह महीने की सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण करके यह रिपोर्ट तैयार की है। इसके अलावा कई अन्य तथ्यों का भी अध्ययन किया गया।
चेटहेम हाउस, जिसे रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स भी कहा जाता है, उसकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे में जबरदस्त विकास किया है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि अक्साई चिन में सड़कों, चौकियों, आधुनिक वाटरप्रूफ कैंप, पार्किंग एरिया, सोलर पैनल, हैलीपोर्ट का निर्माण किया गया है। हैलीपोर्ट में 18 हैंगर्स और एक छोटा रनवे भी बनाया गया है। माना जा रहा है कि इस रनवे को ड्रोन्स की उड़ान के लिए बनाया गया है।
सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि चीन की सेना ने अक्साई चिन इलाके में तैनात अपने सैनिकों की सुविधा के लिए पूरा तंत्र विकसित कर लिया है। बता दें कि भारत अक्साई चिन इलाके को लद्दाख का हिस्सा मानता है। वहीं चीन अक्साई चिन को अपने शिनजियांग और तिब्बत का हिस्सा मानता है। 1962 की लड़ाई में चीन ने अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया था। गलवान घाटी अक्साई चिन के पास ही स्थित है, जहां साल 2020 में भारत और चीन के सैनिकों में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान बलिदान हो गए थे, वहीं चीन ने अपने चार सैनिकों के मरने का दावा किया था।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देपसांग में भी चीनी सैनिकों की पेट्रोलिंग बढ़ गई है। माना जा रहा है कि देपसांग में मौजूद दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी पर भारतीय संचालन पर दबाव बनाने के उद्देश्य से ऐसा किया जा रहा है। साथ ही देपसांग में ही मौजूद राकी नाला इलाके से भी चीन की चौकियां साफ देखी जा सकती हैं। माना जा रहा है कि इस इलाके में भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग को रोकने के उद्देश्य से यह चौकियां स्थापित की गई हैं।
चीन शिनजियांग और तिब्बत को जोड़ने वाला प्रस्तावित जी695 हाइवे का भी निर्माण कर रहा है। यह हाइवे 2035 तक बनकर तैयार हो सकता है। इस हाइवे के बनने से अक्साई चिन, देपसांग, गलवान घाटी और पैंगोंग सो झील तक चीन की पहुंच बेहद आसान हो जाएगी। यह हाइवे इन विवादित इलाकों को चीन से जोड़ेगा और इससे पीएलए को नया सप्लाई रूट भी मिल जाएगा। इस हाइवे के निर्माण से साफ है कि चीन अक्साई चिन को पूरी तरह से मेनलैंड चीन से जोड़ने की तैयारी कर रहा है। अभी तक चीन की सेना की अक्साई चिन में सीमित सैनिक चौकियां थी और चीनी सेना अस्थायी तौर पर यहां तैनात थी लेकिन अब सैटेलाइट तस्वीरों से साफ है कि चीन की सेना स्थायी तौर पर यहां तैनाती की तैयारी कर चुकी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पैंगोंग सो झील के पास चीनी सेना एक पुल का निर्माण कर रही है। इस पुल के निर्माण के बाद पीएलए के रुतोग मिलिट्री बेस से चीनी सैनिकों की इस इलाके में तेजी से तैनाती संभव हो सकेगी। इसे देखते हुए दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बढ़ रहा है और गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों बीते 6 दशकों में सबसे ज्यादा तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत और चीन के बीच बातचीत की कोशिशें भी हो रही हैं और दोनों देशों में 18 राउंड की शीर्ष सैन्य स्तर पर बातचीत हो चुकी है। भारत सरकार साफ कर चुकी है कि जब तक सीमा पर शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकेंगे।