बांग्लादेश में सैन्य दखल बढ़ाने में लगा है चीन, बनाया नौसैनिक अड्डा, रूक सकेंगी सबमरीन

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ढाका: चीन की ओर से बांग्लादेश में लगातार अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं। चीन की मदद से पनडुब्बियों और युद्धपोतों के लिए बांग्लादेश में एक नेवल डॉक तैयार किया गया है। वैश्विक खुफिया अनुसंधान नेटवर्क द इंटेल लैब के शोधकर्ता डेमियन साइमन ने भारतीय सीमा के पास से बांग्लादेश में बने ड्राई डॉक की सैटेलाइट तस्वीरें कुछ समय पहले जारी की थी। ये नेवल डॉक अपनी समुद्री क्षमताओं को बढ़ाते हुए भारत के बैकयार्ड में बीजिंग के बढ़ते सैन्य प्रभाव को भी दिखाता है। डेमियन साइमन ने भी नेवल डॉक की तस्वीरें शेयर करते हुए कहा कि चीन के इस उन्नत रक्षा सहयोग प्रयास से बीजिंग को बांग्लादेश में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्लेषकों का कहना है कि इस नेवल डॉक के लिए भारत को फिलहाल बहुत चिंतित होने की जरूरत है क्योंकि यह बांग्लादेश की अपनी नौसैनिक महत्वाकांक्षाओं को मजबूत करने की इच्छा को ज्यादा दर्शाती है। हालांकि एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि दिल्ली को क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति के प्रति सतर्क रहना चाहिए। भारत को इसलिए सतर्कता की जरूरत है क्योंकि इस नेेवल डॉक के जरिए चीन को बांग्लादेश के साथ रक्षा संबंध बढ़ाने के साथ ही बंगाल की खाड़ी में अपनी पनडुब्बियों के लिए एक नया बेस भी मिल जाएगा।

बीते साल शेख हसीना ने किया था उद्घाटन

यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के डिफेंस एंड सिक्योरिटी इंस्टीट्यूट के रिसर्च फेलो ट्रॉय ली ब्राउन ने कहा है कि बांग्लादेश की नेवी कॉक्स बाजार में नए शेख हसीना पनडुब्बी बेस पर ड्राई डॉक का निर्माण कर रही थी। ये करीब 1.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर से तैयार हुई है। इसका उद्घाटन पिछले साल मार्च में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने चीनी अधिकारियों की उपस्थिति में एक समारोह में किया था। हसीना ने उद्घाटन के मौके पर कहा कि यह बेस बांग्लादेश की अपनी समुद्री सीमा की रक्षा करने की क्षमता को मजबूत करेगा। यह एक समय में छह पनडुब्बियों और आठ युद्धपोतों की मेजबानी करने में सक्षम होगा। साथ ही आपातकालीन स्थिति में पनडुब्बियों की सुरक्षित और तेज आवाजाही की अनुमति मिलेगी।

उन्होंने बताया कि बांग्लादेश ने 2016 में चीन से 205 मिलियन अमेरिकी डॉलर में जो दो पनडुब्बियों खरीदी थीं, उनको भी बेस पर सर्विस के लिए लाए जाने की उम्मीद है। यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस थिंक टैंक के दक्षिण एशिया कार्यक्रमों के विजिटिंग अकादमिक नीलांथी समरनायके ने कहा कि बांग्लादेश 1980 के दशक से चीन से सस्ते नौसैनिक हथियार खरीद रहा है। ढाका की अपनी नौसेना का विस्तार करने की कोशिश लगातार जारी है।

भारत के लिए कितनी चिंता की बात

बांग्लादेश में चीन की मदद से बन रहे इस नेवल डॉक को भारत के लिए चिंताजनक माना जा रहा है। भारत परंपरागत रूप से हिंद महासागर क्षेत्र को अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखता रहा है लेकिन बीते कुछ सालों में चीन ने इस क्षेत्र पर अपना प्रभाव बढ़ाया है। चीन ने मार्च में मालदीव के साथ अहम सुरक्षा समझौता किया। चीन के सैन्य प्रतिनिधिमंडल ने इस साल मालदीव के साथ-साथ श्रीलंका और नेपाल का दौरा भी किया। इस साल दो बार चीनी अनुसंधान जहाजों को भारत के तट के पास देखा गया है, जिससे यह चिंता बढ़ गई है कि बीजिंग देश के बैकयार्ड में सैन्य खुफिया जानकारी इकट्ठा कर सकता है।

भारत की चिंताओं पर ली-ब्राउन ने कहा, हाल के समय में संयुक्त सैन्य अभ्यास और आपदा राहत कार्यक्रमों में भारत-बांग्लादेश का सहयोग रहा है। दोनों देशों के मजबूत सुरक्षा और रक्षा संबंधों को देखते हुए बांग्लादेश में बना ये डॉक भारत के लिए बहुत चिंता की बात नहीं है। इसके बावजूद दिल्ली को रणनीतिक रूप से बंगाल की खाड़ी में अपने युद्धपोतों और पनडुब्बियों के रखरखाव के लिए भविष्य में संभावित चीनी पहुंच के बारे में कुछ चिंता होगी। बंगाल की खाड़ी दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक है, जहां से सालाना 40,000 से अधिक जहाज गुजरते हैं, जो पूर्व और पश्चिम के बीच एक महत्वपूर्ण समुद्री प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।’

ली-ब्राउन ने कहा कि चीन के मुकाबले हिंद महासागर में भारत की स्पष्ट नौसैनिक बढ़त को ध्यान में रखते हुए बीजिंग को इस क्षेत्र में काफी तार्किक बाधाओं के तहत काम करने की जरूरत है। ये इसलिए भी ज्यादा अहम हो जाता है क्योंकि क्षेत्र में एक तनाव भी देखा जा रहा है। ब्राउन ने कहा, ‘अगर चीनी नौसेना अपनी नौकाओं के रखरखाव के लिए कॉक्स बाजार में नए शेख हसीना पनडुब्बी बेस जैसे अड्डों तक पहुंच हासिल कर लेती है, तो यह हिंद महासागर में भारत के विशाल भौगोलिक लाभ को कहीं ना कहीं थोड़ा कम कर देगा।’

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