दलाई लामा की जासूसी के पीछे चीन की बड़ी साजिश, तिब्बत पर ड्रैगन की टेढ़ी नजर

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नई दिल्ली: बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा काल चक्र पूजा को लेकर एक महीने के प्रवास पर बिहार के बोध गया में हैं. यहां एक चीनी महिला के गायब होने की खबर से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. खूफिया एजेंसियों को शक है कि चीनी महिला को दलाई लामा की जासूसी के मकसद से बिहार भेजा गया है. पुलिस ने संदिग्ध महिला का स्केच जारी कर लोगों से उसके बारे में कुछ भी पता चलने पर जानकारी शेयर करने का आग्रह किया है. खुफिया सूत्रों की मानें तो, दलाई लामा की जासूसी चीन की बड़ी साजिश का हिस्सा है.

इस महिला के अलावा भी चीन ने अपने कई जासूस दलाई लामा पर निगाह रखने के लिए छोड़ रखे हैं. इसके पीछे मकसद है कि नए होने वाले दलाई लामा को किसी तरह से चीन में घोषित कराया जा सके. यदि नया दलाई लामा चीन समर्थक हुआ, तो बीजिंग आसानी से तिब्बत समेत बौद्ध इलाकों पर एकछत्र राज कर सकेगा. हाल ही में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 2 गोपनीय आंतरिक दस्तावेज लीक हुए थे, जिसमें ड्रैगन की रणनीति का खुलासा हुआ है. धार्मिक आजादी और मानवाधिकार से जुड़ी मैगजीन बिटर विंटर के एडिटर इन चीफ मार्को रेस्पिंटी का कहना है कि रिपोर्ट, अनदेखी और महत्वपूर्ण चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की नीति दस्तावेज पर आधारित है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये दस्तावेज चीन में प्रभावशाली और कुशल तिब्बती शोधकर्ताओं को भेजे गए हैं. यह प्रकट करता है कि चीनी सरकार दलाई लामा के बाद के युग की विस्तृत तैयारी कर रही है. इस रिपोर्ट में दलाई लामा के निधन को भुनाने और उत्तराधिकारी चुनने की चीन की योजनाओं का विवरण है. हाल ही में दलाई लामा ने घोषणा की थी कि वह तिब्बती बौद्ध धर्म को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हस्तक्षेप और पुनर्जन्म प्रणाली को बचाने के लिए फिर से जन्म नहीं लेंगे. दलाई लामा तिब्बत का राजा भी होता है. वर्तमान दलाई लामा 85 वर्ष के हो चुके हैं, और उनके उत्तराधिकारी की घोषणा होनी है.

दिल्ली पुलिस ने भी बीते महीने में एक चीनी महिला को गिरफ्तार किया था, जिसे दलाई लामा पर निगाह रखने के लिए भेजा गया था. उसे दलाई लामा से जुड़ीं खुफिया सूचनाएं चीन भेजने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लीक हुए दस्तावेज के मुताबिक, ड्रैगन तिब्बती पहचान को तोड़ना और फिर से आकार देना चाहता है. चीन जिस तरह से तिब्बती बौद्ध धर्म की रचना को बदलना चाहता है, उसका उद्देश्य दलाई लामा के साथ तिब्बती लोगों के गहरे संबंध को तोड़ना है और इसमें हाईटेक निगरानी और पुलिसिंग के साथ मठों भिक्षुओं और भिक्षुणियों की एक भयावह प्रणाली को खड़ा करना है.

इस प्लान के तहत भिक्षुओं और भिक्षुणियों को धार्मिक संस्थानों से निष्कासित कर दिया गया है और कुछ को देशभक्ति और फिर से तौर-तरीके सिखाने के अभियान के अधीन कैंपों में भेज दिया गया है. बौद्ध धर्म के जानकारों के मुताबिक, चीन जानता है कि बिना तिब्बती बौद्ध धर्म को खत्म किए वह कभी तिब्बत पर पूरी तरह कब्जा नहीं कर सकता. माना जा रहा है कि 15वें दलाई लामा अवतार लेने वाले हैं. तिब्बती दलाई लामा को खारिज किए बिना चीन यहां कब्जा नहीं कर सकता. ऐसे में वह किसी भी तरह से नए दलाई लामा को चुने जाने से रोकने की कोशिश में लगा है. दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी है जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर. बौद्ध धर्म के अनुयायी, खासकर तिब्बती दलाई लामा को अपना सर्वोच्च गुरु या यूं कहें की नेता मानते हैं. अभी तेनजिन ग्यात्सो (वर्तमान दलाई लामा) इस पद पर हैं.

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