खतना:एक रिवाज जिसके नाम पर खेला जाता है महिलाओ की जान से

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खतना : क्या आपका कोई शरीर का हिस्सा जबरन काट दे तो सही होगा ? खतना लेकिन ऐसा किया जा रहा है, ऐसा हो रहा है. भारत समेत दुनिया के कई देशों में. पुणे में रहने वाले न जाने कितनो के साथ ऐसा हुआ है। वैसे तो इसका संबंध किसी खास धर्म, जातीय समूह या जनजाति से हो सकता है, लेकिन कई बार माता-पिता अपने बच्चों का खतना, साफ-सफाई या स्वास्थ्य कारणों से भी कराया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि खतना किए गए पुरुषों में संक्रमण का जोखिम बहोत कम होता है। क्योंकि लिंग की आगे की चमड़ी के बिना कीटाणुओं के पनपने के लिए नमी नहीं मिल पति है। लेकिन ये तो रही वैज्ञानिक बात। लेकिन बात करे इस्लाम की तो कई यूरोपीय मुस्लिम और यहूदी संगठनों ने साझा बयान जारी कर कहा है कि खतना उनकी धार्मिक श्रद्धाओं का आधार है और इसे कानूनी रूप से संरक्षण दिया जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 30 प्रतिशत पुरुषों खतने का शिकार हो चूका है।

कुछ समुदायों जैसे कि यहूदियों और मुसलमानों के लगभग सभी पुरुषों का खतना होता है। कुछ लोग धर्म की आड़ में अपने समुदाय के लोगो का खतना कराते है। उनका मानना है की पुरुषो का खतना कराने से वो ज्यादा पवित्र रहते है , और न जाने कितने ही अंधविश्वास की चादर ओढे पुरुषो का खतना कराया जाता है।

यह तो रही पुरुषो की बात अब में बताती हूँ आपको महिलाओ के खतने के बारे में , तो महिलाए भी अन्धविश्वास यानि खतना का शिकार होती है। इस प्रक्रिया में महिला के एक हिस्से क्लिटोरिस को रेजर ब्लेड से काटा जाता है । कुछ जगहों पर क्लिटोरिस और योनि की अंदरूनी त्वचा को भी आंशिक रूप से हटा देते है । इस परंपरा को लेकर विश्वास है कि महिला यौनिकता पितृसत्ता के लिए असुरक्षित है , और ऐसा माना जाता है महिलाओं को सेक्स का लुत्फ उठाने का कोई अधिकार नहीं है। माना जाता है कि जिस महिला का खतना हो चुका है, वह अपने पति के प्रति ज्यादा वफादार होगी और घर से बाहर नहीं जा पाएगी।


बड़ी ही शर्म की बात है

संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक खतना चार तरह का हो सकता है पूरी क्लिटोरिस को काट देना, कुछ हिस्सा काटना, योनी की सिलाई, छेदना या बींधना। दाऊदी बोहरा समुदाय से आने वाली कई महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लड़कियों के खतना को गैरकानूनी करार देने के लिए मदद की गुहार के लिए गुहार लगाई है । भारत में फिलहाल खतना को लेकर कोई कानून नहीं है और बोहरा समुदाय अब भी इस परंपरा का पालन करता है जिसे यहां खतना या महिला सुन्नत भी कहते है । इसे अंग्रेजी में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफजीएम) कहा जाता है।

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महिलाओं ने इसके खिलाफ एक केंपेन भी लॉन्च किया है । लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं का खतना होता कैसे है? या इस प्रक्रिया के दौरान उन्हें किस तरह के दर्द और मानसिक पीड़ा से गुजरना उनको गुजरना पड़ता है।

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रिपोर्ट – शिवी अग्रवाल

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