सुप्रीम कोर्ट को पोस्‍ट आफिस समझ लिया, CJI ने वकील को लगाई फटकार

0 189

नई दिल्ली (New Delhi)। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता की गैरमामूली याचिका से नाराज होकर उसकी खिंचाई करते हुए कहा कि उसने शीर्ष अदालत को डाकघर में बदल दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा (Chief Justice DY Chandrachud, Justice PS Narasimha and Justice Manoj Mishra) केरल के एक 39 वर्षीय वकील की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जो चाहते थे कि अदालत उनके गृह जिले में वंदे भारत ट्रेन के लिए स्टॉप आवंटित करने का आदेश दे।

सीजेआई ने याचिकाकर्ता पीटी शीजिश को फटकार लगाते हुए कहा, ‘आप चाहते हैं कि हम तय करें कि वंदे भारत ट्रेन कहां रुकेगी? क्या हमें इसके बाद यह तय करना चाहिए कि दिल्ली-मुंबई राजधानी को कहां रोकना है? यह एक नीतिगत मामला है, अधिकारियों के पास जाएं। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट को कम से कम सरकार को इस प्रतिनिधित्व पर विचार करने के लिए कहना चाहिए, लेकिन सीजेआई ने कहा कि वह हस्तक्षेप नहीं करेंगे, क्योंकि ऐसा लगेगा कि अदालत ने इस मामले में संज्ञान लिया है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि भले ही तिरुर में नई ‘वंदे भारत’ के लिए एक स्टॉप आवंटित करने का प्रस्ताव था, लेकिन यह सफल नहीं हुआ। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मलप्पुरम घनी आबादी वाला है और कई लोग अपनी यात्रा के लिए ट्रेन सेवाओं पर निर्भर हैं, फिर भी जिले के लिए एक स्टॉप आवंटित नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा, मलप्पुरम जिले के स्थान पर तिरुर को एक स्टॉप आवंटित किया गया था, लेकिन भारतीय रेलवे ने स्टॉप वापस ले लिया और इसके बजाय एक और रेलवे स्टेशन – पलक्कड़ जिले में शोर्नूर आवंटित किया गया, जो तिरुर से लगभग 56 किमी दूर है. उसने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि ऐसा राजनीतिक कारणों से किया गया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि तिरुर रेलवे स्टेशन पर स्टॉप आवंटित करने में विफलता मलप्पुरम के लोगों के साथ अन्याय है और इसलिए, उनके अनुरोधों और मांगों को नजरअंदाज करना बहुत पूर्वाग्रह का कारण बनता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘ट्रेन के लिए दिए जाने वाले स्टॉप एक ऐसा मामला है जिसे रेलवे द्वारा निर्धारित किया जाना है। किसी भी व्यक्ति को यह मांग करने का निहित अधिकार नहीं है कि किसी विशेष ट्रेन को किसी विशेष स्टेशन पर रुकना चाहिए।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक जिले में कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के रेलवे स्टेशन पर स्टॉप उपलब्ध कराने के लिए हंगामा करने लगे या मांग करने लगे, तो हाई स्पीड ट्रेन स्थापित करने का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.