नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिना केस फाइल के पेश हुए एक वकील को चेतावनी देते हुए कहा कि बिना ब्रीफ की कॉपी के एक वकील बिना बैट के सचिन तेंदुलकर जैसा है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी तब की कि जब अदालत में मामले पर बहस करने वाले एक वकील के पास संक्षिप्त विवरण की प्रति नहीं थी। उन्होंने कहा- यह अच्छा नहीं है, बिना ब्रीफ के एक वकील बिना बल्ले के सचिन तेंदुलकर की तरह है। उन्होंने कहा, आप अपने गाउन और बैंड के साथ हैं, लेकिन आपके पास कोई कागज नहीं है। आपके पास हमेशा अपना ब्रीफ होना चाहिए।
साथ ही, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पूर्ण अदालत की बैठक में- लंबित मामलों को कम करने के लिए- यह फैसला किया है कि सभी 13 पीठ वैवाहिक विवादों से संबंधित 10 स्थानांतरण याचिकाओं और इतनी ही संख्या में जमानत याचिकाओं पर प्रतिदिन सुनवाई करेंगी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्येक पीठ शीतकालीन अवकाश शुरू होने से पहले ऐसे सभी मामलों का निस्तारण करने के लिए प्रतिदिन 10 स्थानांतरण याचिकाओं, पारिवारिक मामलों, इसके बाद 10 जमानत मामलों पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि वैवाहिक मामलों के संबंध में शीर्ष अदालत में 3,000 याचिकाएं लंबित हैं, जहां पक्षकार मामलों को अपनी पसंद के स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं, और इस बात पर भी जोर दिया कि जमानत के मामलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि वह व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित हैं।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि प्रत्येक पीठ प्रतिदिन 10 स्थानांतरित के मामले सुनती है तो 13 पीठ प्रतिदिन 130 और प्रति सप्ताह 650 मामलों का निस्तारण कर सकेगी और बेंच प्रतिदिन इन 20 जमानत और स्थानांतरण याचिकाओं से निपटने के बाद नियमित मामलों की सुनवाई करेगी।