नई दिल्ली: बदलते मौसम के मिजाज और हवा और बारिश से दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में भीषण गर्मी से राहत मिली है. उधर, अब पारा फिर चढ़ने लगा है। दरअसल, दिल्ली में आज शनिवार को अधिकतम तापमान 41 तक रहने का अनुमान है, ऐसे में कई जगहों पर बादल छाए रहेंगे. वहीं, उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। इसके साथ ही अगले दो से तीन दिनों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के केरल पहुंचने की संभावना है। आपको बता दें कि Weather.com की ओर से कहा गया है कि आज जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में छिटपुट बारिश या बर्फबारी और गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है।
वहीं, उत्तराखंड में भी छिटपुट बारिश/बर्फबारी की भविष्यवाणी की गई है। वहीं पश्चिमी राजस्थान को आज गर्मी से कोई राहत नहीं मिलने वाली है. इस क्षेत्र में छिटपुट स्थानों पर धूल भरी आंधी और लू चलने की संभावना है। दरअसल, मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है। इसके चलते इस क्षेत्र में बारिश हो रही है। राजधानी दिल्ली में भी अगले दो दिन बादल छाए रहेंगे और बारिश की भी संभावना है. इसके साथ, उत्तर प्रदेश, पंजाब, पूर्वी राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और आंतरिक कर्नाटक में छिटपुट बारिश की भविष्यवाणी की गई है। जबकि केरल और लक्षद्वीप में व्यापक बारिश और गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। आपको बता दें कि मौसम विभाग ने अगले चार दिनों के दौरान जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में हल्की या मध्यम बारिश की भविष्यवाणी की है।
दरअसल, विभाग का कहना है कि अगले दो से तीन दिनों के दौरान उत्तराखंड, उत्तरी पंजाब, उत्तरी हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान के सुदूर इलाकों में बारिश की संभावना है. मानसून के शुरुआती आगमन की उम्मीद है। दरअसल, अगले दो से तीन दिनों के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल पहुंच सकता है। मौसम विभाग ने कहा, ‘नए मौसम संबंधी संकेतों के मुताबिक, दक्षिण अरब सागर के निचले स्तरों में पछुआ हवाएं तेज हो गई हैं। सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि केरल तट और उससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर में बादल छाए हुए हैं। अगले दो से तीन दिनों में केरल में मानसून की शुरुआत के लिए स्थितियां अनुकूल दिख रही हैं। वहीं, मानसून समय से काफी पहले 16 मई को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पहुंच गया था और चक्रवात के शेष प्रभाव के कारण इसके आगे बढ़ने की उम्मीद थी।