भुवनेश्वर: ओडिशा हाई कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए बड़ी टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि शादी का वादा करके किसी वयस्क महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में नहीं आता है। अगर कोई महिला अपनी इच्छा से संबंध बनाती है तो इसमें रेप की धाराएं नहीं लगनी चाहिए। आईपीसी की धारा 375 के लिए ऐसा मामला गलत साबित होता है। कोर्ट ने रेप के एक आरोपी को जमानत दे दी। शख्स पर शादी का वादा करके रेप करने का आरोप था।
जस्टिस संजीब पाणिग्रही की एक जज वाली बेंच ने कहा, आपसी सहमति से बनाया गया संबंध आईपीसीकी धारा 367 के तहत दंडात्मक अपराध के अंतरगत नहीं आता है। अगर महिला की इच्छा के खिलाफ जाकर संबंध बनाए गए होते तो यह आईपीसी की धारा 375 केतहत आता। कोर्ट ने निचली अदालत को भी आऱोपी को सशर्त जमानत देने के आदेश दिया है। शर्त रखी गई है कि आरोपी जांच प्रक्रिया में सहयोग करेगा और आरोप लगाने वाली महिला को धमकाएगा नहीं।
मामला निमापड़ा थाने का है। आरोप है कि एक युवक ने महिला को शादी का झांसा देकर संबंध बनाए और कुछ दिन बाद फरार हो गया। पीड़िता की शिकायत के बाद उसे गिरफ्तार किया गया। निचली अदालत से उसकी जमानत याचिका खारिज हो गई। इसके बाद उसने हाई कोर्ट का रुख किया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसा ही फैसला सुनाते हुए कहा था कि अगरकोई महिला शादी के झांसे के बाद आपसी सहमति से संबंध बनाती है तो आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 नहीं लगानी चाहिए। हालांकि अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जा सकती है।
पुलिस के मुताबिक 20 जनवरी 2020 को युवक महिला को उसके घर से भुवनेश्वर ले गया था। उसने शादी करने का वादा किया था। उन दोनों ने इस दौरान कई बार संबंध बनाए। वहीं युवक पर आरोप है कि उसने महिला के न्यूड फोटो खींचे। महिला ने बाद में इस बात की शिकायत दर्ज की। पुलिस का कहना है कि यह बात स्पष्ट है कि दोनों ही एक दूसरे को लंबे समय से जानते थे और मेडिकल रिपोर्ट में भी सामने आया है कि जबरदस्ती संबंध नहीं बनाए गए। इस मामले में सुनवाई के दौरान जज ने यह भी कहा कि महिला घटना की सही तारीख भी नहीं बता पा रही है।