मुसलमान को तीन तलाक़ देने और दूसरा निकाह करने से नहीं रोक सकता कोर्ट: केरल हाईकोर्ट

0 229

कोच्ची: केरल उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए ऐसी टिप्पणी की है, जिसपर लोगों की राय बंटी हुई नज़र आ रही है। दरअसल, केरल हाई कोर्ट का कहना है कि, एक मुस्लिम व्यक्ति को अपनी पत्नी को तलाक देने से अदालत नहीं रोक सकती। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि अदालत, मुस्लिम शख्स को दोबारा शादी करने से भी नहीं रोक सकती। दरअसल, हाई कोर्ट में दो याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी, जिसमें फैमिली कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को चुनौती दी गई थी।

दरअसल, कोल्लम के एक व्यक्ति ने वकील माजिदा एस के माध्यम से एक याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में चावरा फैमिली कोर्ट की ओर से जारी किए गए दो आदेशों को चुनौती दी गई थी। कुटुंब न्यायालय (Family Court) ने मुस्लिम शख्स की पत्नी की याचिका पर पति के तलाक कहने पर रोक लगा दी थी। खास बात है कि उच्च न्यायालय पहुंचा याचिकाकर्ता पहले ही दो बार तलाक कह चुका था, मगर तीसरे तलाक से पहले ही फैमिली कोर्ट ने रोक का आदेश जारी कर दिया था।

जिसके बाद इस मामले पर केरल उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुश्ताक और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस सुनवाई कर रहे थे। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया। HC ने अपने आदेश में कहा कि पर्सनल लॉ का उपयोग कर रही पार्टियों को रोकने में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला दिया। अदालत का कहना है कि यदि इसे रोकने का आदेश जारी किया जाता है, तो यह संबंधित व्यक्ति के संविधान में सुरक्षित अधिकारों का हनन होगा। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट याचिकाकर्ता को दोबारा निकाह करने से भी नहीं रोक सकता। बता दें कि, केंद्र सरकार तीन तलाक़ को पहले ही अपराध घोषित कर चुकी है, ऐसे में कोर्ट का यह फैसला लोगों के मन में सवाल पैदा कर रहा है।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.