नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने से गुजरात हाईकोर्ट के इनकार के खिलाफ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, राहुल गांधी की दोषसिद्धि और दो साल जेल की सजा पर रोक लगाने से इनकार वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा सुनवाई करेंगे। आपराधिक मानहानि मामले के कारण केरल के वायनाड से सांसद रहे कांग्रेस नेता को लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी।
भाजपा विधायक और राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने एक कैविएट दायर की थी, जिसमें अपना पक्ष रखने का मौका देने का अनुरोध किया गया है। कैविएट एक वादी द्वारा अपीलीय अदालत को प्रस्तुत किए गए नोटिस के रूप में कार्य करता है, जो किसी प्रतिद्वंद्वी की अपील के संबंध में कोई आदेश जारी होने की स्थिति में सुनवाई की इच्छा रखता है, जो निचली अदालत द्वारा किए गए निर्णय को चुनौती देता है।
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को राहुल की याचिका पर 21 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जब उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की। उन्होंने शीर्ष अदालत से मामले को शुक्रवार या अगले सोमवार को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था और अदालत ने मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी। कांग्रेस नेता ने 15 जुलाई को गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की पीठ ने कहा था कि उनकी सजा पर रोक लगाना एक अपवाद होगा, न कि नियम।
राहुल गांधी को मार्च में संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जब सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया। राहुल ने अप्रैल 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी व ललित मोदी का जिक्र करते हुए कहा था, ” ताज्जुब की बात है कि सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है।” उनकी इस टिप्पणी के लिए सूरत की एक अदालत ने उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई थी।
मार्च में सूरत की सत्र अदालत ने सजा निलंबित करने की मांग वाली राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी। फैसले में कहा गया था कि उनकी अयोग्यता से उन्हें कोई अपरिवर्तनीय क्षति नहीं होगी। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर शीर्ष अदालत राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाती है, तो यह उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल करने के लिए पर्याप्त होगा। कांग्रेस नेता को उस नियम के तहत अयोग्य घोषित किया गया था, जो दोषी सांसदों को लोकसभा सदस्यता रखने से रोकता है।