नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को उस 14 वर्षीय लड़की की पहचान छिपाने का निर्देश दिया, जो अपनी 11 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग कर रही है। इसके अतिरिक्त, न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने दिल्ली पुलिस के संबंधित एसएचओ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जांच के दौरान न तो नाबालिग की पहचान उजागर की जाए और न ही उसके परिवार की।
अदालत ने नाबालिग द्वारा अपनी मां के माध्यम से दायर की गई गर्भपात की याचिका का निस्तारण किया। पीड़िता के वकील की ओर से दलील दी गई कि कोई भी लाइसेंस प्राप्त चिकित्सक अपना नाम छिपाते हुए गर्भपात कराने को तैयार नहीं था। अदालत ने नाबालिग को राहत दी और 23 जनवरी के अपने उस आदेश का संज्ञान लिया जिसमें दिल्ली सरकार को एक सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया गया था जिसमें निर्देश दिया गया था कि नाबालिग लड़की की पहचान जो अपनी गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति की मांग कर रही है और उसके परिवार का रिपोर्ट में खुलासा नहीं किया जाएगा।
युवती की उम्र और गर्भ के समय को देखते हुए, अदालत ने कहा कि वह एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के संपर्क में रहे और निर्देश दिया कि गर्भावस्था को समाप्त कर दिया जाए क्योंकि गर्भावस्था की अवधि एमटीपी अधिनियम की अनुमत सीमा के भीतर है।
अदालत ने आदेश दिया- निर्णय के अनुसार, संबंधित पंजीकृत चिकित्सक द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट पीड़िता और उसके परिवार की पहचान का खुलासा किए बिना दायर की जाएगी। संबंधित एसएचओ को यह सुनिश्चित करना होगा कि जांच की प्रक्रिया के दौरान पहचान का खुलासा ना किया जाए। याचिका का निस्तारण किया जाता है।