नोटबंदी से मिला डिजिटल, अब राम मंदिर से भारत में ऐसे बढ़ रहा धर्म का कारोबार

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नई दिल्ली: क्या नोटबंदी के पहले आपने सोचा था कि चाय, सिगरेट, आटा, दाल, चावल यहां तक की रिक्शे का भाड़ा भी पेटीएम से चुकाएंगे. नहीं न, लेकिन आज की सच्चाई यही है. नोटबंदी के बाद पेटीएम समेत कई डिजिटल प्लेटफॉर्म को इसका फायदा मिला. अब देखते ही देखते कैश पुराने जमाने की बाद होती दिखने लगी. आज देश से लेकर विदेश तक हर रोज राम मंदिर का चर्चा है. धर्म एक ऐसा हथियार होता है जो सबपर भारी पड़ता है. ऐसा हम नहीं कह रहे ऐसा इतिहास बताता है. अब राम मंदिर के जरिए देश में धर्म का कारोबार बढ़ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का फेथ मार्केट 5 लाख करोड़ रुपए का हो चुका है.

भारत एक ऐसा देश है जहां राम- रहीम हो या कोई और. यहां हर कुछ बिकता है. कुछ साल पहले तक अयोध्या यूपी का छोटा सा शहर था. आज एक तीर्थस्थल में तब्दील हो चुका है. दुनिया में जब भी कोई बड़ा इवेंट होता है तो कारोबारी भी इसको भुनाने का मौका नहीं छोड़ते. ऐसा ही कुछ अब देश में होने जा रहा है.

देश के कारोबारियों का संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुमान के मुताबिक केवल 22 जनवरी के इस भव्य इवेंट से देश में 1 लाख करोड़ के कारोबार होने का अनुमान है. ये तो बात हुई केवल ऑफलाइन मार्केट या यूं कहे छोटे प्लेयर्स की. अब बात करते हैं ऑनलाइन मार्केट और दिग्गज प्लेयर्स की. धर्म के इस कारोबार में को देश के नामचीन कारोबारी समझ चुके हैं और भी मार्केट में कूद गए है.

पहले बात टाटा कैपिटल की करते हैं. टाटा कैपिटल की बैकअप वाली स्प्रिचुअल एप ‘देवधाम’ का मोबाइल एप तेजी से बढ़ रहा है. इस एप में 6 करोड़ की फंडिंग जुटाई है. इनकी डेली यूजर्स की संख्या बीते एक महीने में 35 फीसदी तक बढ़ चुकी है. इस स्टार्टअप ने देश के 500 मंदिरों से टाइअप किया है. जानकारों मुताबिक राम मंदिर के बाद से स्प्रिचुअल सेक्टर के सर्च में काफी तेजी आई है.

नोटबंदी के बाद से आप सामान ऑनलाइन खरीदने लगे. अब वो दिन दूर नहीं जब आप पूजा भी ऑनलाइन ही करेंगे. जी हां ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि इस सेक्टर में एक खिलाड़ी हैं जिनके एप के जरिए लोग ऑनलाइन पूजा करते हैं. इस एप का नाम है ‘वामा’. इस एप पर ऑनलाइन पूजा करने वाले लोगों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. इस एप का 1 महीने में ऑर्गेनिक सर्च 35 फीसदी तक बढ़ा है. बाजार के जानकारों के मताबिक राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद ये सेक्टर और तेजी से बढ़ेगा. यूं तो भारत के मंदिर पहले से ही अरबों में कमाई करते हैं. लेकिन पहले ये दायरा केवल मंदिरों तक सीमित था. लेकिन अब यह ऑनलाइन एप्स के जरिए हर घर तक पहुंच रहा है.

एक तरफ एप्स पर पूजा कराई जा रही है तो वहीं बिगबास्केट, जेप्टो, ब्लिंकिट, स्विगी जैसे प्लेयर्स ने अपने यहां पूजा का सामान बेचने के लिए अलग कैटेगरी तैयार कर ली है. इनके इस कैटेगरी में आपको फूल, अगरबत्ती, नारियल, मिठाई समेत पूजा के सारे सामान मिल जाएंगे, इनकी इस कैटेगरी में लोग दबाकर ऑर्डर बुक कर रहे है.

भारत में धर्म का कारोबार कोई नया नहीं है. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एक स्डटी के मुताबिक भारत में धार्मिक संगठन न केवल कारोबारी संगठनों की तरह काम करते हैं, बल्कि उनके ‘बिजनेस मॉडल’ में उनके अनुयायियों की वफादारी बनाए रखने और नए भक्तों को आकर्षित करने के लिए गतिविधियों में विविधता देखी गई है. शायद यही वजह है कि भारत में धर्म एक बड़ा कारोबार बन चुका है.

अयोध्या आज चर्चा में है लेकिन क्या आपको पता है कि देश में कई मंदिर ऐसे भी है जहां हर साल करोड़ों रुपए का केवल चढ़ावा आता है. एक अनुमान के मुताबिक देश में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 50 हजार से ज्यादा मंदिर हैं. खासकर दक्षिण भारत की बात करें तो यहां के मदिरों की कमाई देश के कई मंदिरों पर भारी पड़ती है. त्रिवेंद्रम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर हो या फिर आंध्रप्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर हो. एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण भारत के इन मंदिर में हर साल करोड़ों रुपए केवल दान में आता है. पद्मनाभ स्वामी की संपत्ति की बात करें इस मंदिर की तिजोड़ियों में करीब 20 अरब डॉलर की संपत्ति है. वहीं तिरुपति बालाजी से हर साल दान में 650 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम आती है. ये तो हुई केवल दो मंदिरों की बात देश के बाकी मंदिर में दान-धर्म से मोची कमाई करते है. तो क्या अब अयोध्या के जरिए उत्तर भारत भी दक्षिण की तरह मोटी कमाई करने वाला है.

अब बात अयोध्या की हो रही है तो आपको बताते हैं कि एक राम मंदिर कैसे एक दो नहीं बल्कि 20 से ज्यादा सेक्टर्स में भारी भरकम निवेश आने वाला है. अवधपुरी जो कल तक एक छोटा सा शहर बना हुआ था, राम जी के आने के बाद ये एक बड़ा निवेश हब बनने जा रहा है. उत्तर प्रदेश ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में योगी सरकार ने अवधपुरी के लिए करीब 1.54 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके हिसाब से मत्स्य, नगर विकास, पर्यटन, आवास, ऊर्जा, चिकित्सा शिक्षा, कृषि, हायर एजुकेशन, यूपीसीडा, हेल्थ, वन क्षेत्र, एमएसएमई, गीडा, उद्यान, टेक्नीकल एजुकेशन, डेयरी डेवलपमेंट, आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, आयूष, खाद्य आपूर्ति और को-ऑपरेटिव इत्यादि शामिल हैं.

इंडियन फेथ मार्केट यानी भरोसे का कारोबार की बात करें तो यह मार्केट भारत में तेजी फैल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का फेथ मार्केट करीब 5 लाख करोड़ का हो चुका है और यह तेजी से बढ़ रहा है. इकोनॉमी के जानकारों के मुताबिक इस मार्केट में अभी स्टार्टअप्स के लिए ग्रोथ की अपार संभावनाएं है. शायद यही वजह है कि गुजरात से लेकर पटना तक में आपको ऐसे स्टार्टअप्स मिल जाएंगे तो अपने एप के जरिए घर्भ का प्रचार-पसार तक मोटी कमाई कर रहे हैं. वहीं बात स्प्रिचुअल टेक सेक्टर की करें तो इन कंपनियों का टारगेट 25 से 35 साल के युवा हैं. खासकर जो एनआरआई हैं और इन एप्स के जरिए भारत के फेथ मार्केट से जुड़े रहना चाहते हैं.

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