जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले क्या कांग्रेस की गुटबाजी खत्म हो पाएगी? क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट आपसी मतभेद भुलाकर भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला कर पाएंगे? इस तरह के उठते सवालों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुलह के संकेत दिए हैं। उन्होंने एक ताजा इंटरव्यू में गुटबाजी से इनकार करते हुए कहा है कि आखिर लोगों को इस बात की आशंका क्यों है? कांग्रेस की विचारधारा, नीति से जुड़े हुए लोग साथ चलेंगे। गहलोत ने पुराना बजट पढ़ जाने पर पीएम मोदी की ओर से ली गई चुटकी पर कहा कि ऐसा महज 34 सेकेंड के लिए हुआ था, लेकिन बीजेपी मुद्दा बनाने में जुटी है।
गहलोत ने एनडीटीवी को दिए एक इटरव्यू में कहा कि गुटबाजी कांग्रेस में नहीं बल्कि भाजपा में है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह पायलट के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार हैं? गहलोत ने कहा, ‘कांग्रेस की नीति, कार्यक्रम, सिद्धांत हैं, उनमें सबका विश्वास है तो आप मानकर चलो कि सब मिलकर ही चुनाव लड़ेंगे। नीति, कार्यक्रम हमारे कॉमन हैं, सिद्धांत कांग्रेस के हैं, जो महात्मा गांधी के जमाने के दिए हुए हैं। तो हम क्यों नहीं मिलकर चुनाव लड़ेंगे, क्यों आशंका होती है लोगों को?’ यह पूछे जाने पर कि बीजेपी कांग्रेस की गुटबाजी को मुद्दा बनाती है, गहलोत ने कहा, ‘बीजेपी खुद बिखरी हुई है यहां पर, ऐसी बिखरी हुई भाजपा पूरे देश में कहीं नहीं है। कांग्रेस में कोई बिखराव नहीं है। हम सब मिलकर चल रहे हैं।’
2020 में सचिन पायलट की ओर से की गई बगावत को लेकर पायलट ने कहा कि अमित शाह, गजेंद्र सिंह शेखावत और धर्मेंद्र प्रधान ने उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुंह की खाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कोई बिखराव नहीं है और उन्होंने 4 साल से स्थिर सरकार चलाई है। गौरतलब है कि गहलोत पायलट को नकारा, निकम्मा और गद्दार तक कह चुके हैं। पायलट भी गहलोत सरकार पर सवाल उठाते रहे हैं।
पुराना बजट भाषण पढ़ जाने को लेकर पीएम मोदी की चुटकी पर भी गहलोत ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा महज 34 सेकेंड के लिए हुआ था। एक पुराना पन्ना गलती से लग गया था। गहलोत ने कहा, ‘शायद वह वित्त मंत्री नहीं रहे होंगे। इस वजह से उन्होंने टिप्पणी की। बजट को 5-6 बार पढ़ा जाता है, पेश करने से पहले। एक एक लाइन पढ़ी जाती है। इस प्रकार की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। बस 34 सेकेंड की बात थी, पुराना पन्ना लग गया था। बीजेपी ने बात का बतंगड़ बना दिया, कटाक्ष किया, कहानी सुना दी अपनी। ऐसा माहौल बना दिया जैसे मैंने पूरा बजट पिछले साल वाला ही पढ़ दिया हो।’