जनधन योजना की अगुवाई में डिजिटल बदलाव से वित्तीय समावेशन में आयी क्रांति: सीतारमण

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नई दिल्ली: सभी देशवासियों विशेषकर बैंकिंग सेवायें से वंचितों को वित्तीय तंत्र की मुख्य धारा में शामिल करने और वित्तीय समावेशन को गति देने के उद्देश्य से शुरू की गयी ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई)’ के राष्ट्रीय मिशन के सफल कार्यान्वयन के आज नौ साल पूरे हो गए हैं और अब इस मिशन के तहत 50 करोड़ से अधिक खाते खुले हैं जिनमें 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से इस योजना की घोषणा की थी और 28 अगस्त 2014 को इसकी शुरूआत की गयी।

इस योजना के नौ वर्ष पूर्ण होने के मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पीएमजेडीवाई की अगुवाई में ठोस उपायों के 9 साल के महत्‍वपूर्ण दौर और डिजिटल बदलाव ने भारत में वित्तीय समावेशन में क्रांति ला दी है। यह अत्‍यंत प्रसन्‍नता की बात है कि जन धन खाते खोलकर 50 करोड़ से भी अधिक लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है। इन खातों में से लगभग 55.5 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं, और 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। इन खातों में कुल जमा राशि बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गई है। इसके अलावा, इन खातों के लिए लगभग 34 करोड़ ‘रुपे कार्ड’ बिना शुल्क के जारी किए गए हैं, जिसके तहत 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी प्रदान किया जाता है।

उन्होंने कहा कि समस्‍त हितधारकों, बैंकों, बीमा कंपनियों और सरकारी अधिकारियों के आपसी सहयोग से पीएमजेडीवाई एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में उभर कर सामने आई है, जो देश में वित्तीय समावेशन के परिदृश्य को प्रधानमंत्री की पिरकल्पना के अनुरूप पूरी तरह से बदल रही है।

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