नई दिल्ली : जी-20 वित्त मंत्रियों ने मंगलवार को वैश्विक कर मानदंडों में बदलाव की रणनीतियों को लागू करने पर चर्चा की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां जहां भी काम करें, वहां कर का भुगतान करें। भारत की अध्यक्षता में आयोजित दो दिवसीय बैठक में भारी कर्ज के बोझ से जूझ रहे निम्न और मध्यम आय वाले देशों की मदद करने के तरीकों पर भी चर्चा हुई।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए सदस्यों से चोरी रोकने के उपायों के कार्यान्वयन के संबंध में विचार आमंत्रित किए। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा, वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों को टू पिलर सॉल्यूशन के कार्यान्वयन का समर्थन करने और भारत की अध्यक्षता में जी-20 के तहत वैश्विक कर पारदर्शिता बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए भी आमंत्रित किया गया।
जी-20 अध्यक्ष के तौर पर भारत वैश्विक राजनीतिक तनाव और महामारी के कारण विकासशील देशों के सामने आने वाली गंभीर ऋण समस्याओं से निपटने के तरीकों पर जोर दे रहा है। क्योंकि, अगर इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया, तो विकासशील देशों की बढ़ती ऋण समस्याएं वैश्विक मंदी पैदा कर सकती हैं। इससे लाखों लोगों अत्यंत गरीबी की ओर जा सकते हैं।
पिछले साल दिसंबर में विश्व बैंक ने कहा था कि दुनिया के सबसे गरीब देशों पर 62 अरब डॉलर का ऋण बकाया है, जो 2021 में 46 अरब डॉलर था। इस तरह से यह दो वर्ष में 35 फीसदी बढ़ गया है। बढ़ते कर्ज की वजह से ये देश दिवालिया हो सकते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। इससे बचाव जरूरी है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने जी-20 बैठक से इतर चीनी समकक्ष लियु कुन से द्विपक्षीय वार्ता में वैश्विक कर्ज संकट का मुद्दा उठाया। चीन इस संकट से गहराई से जुड़ा है, इसका हल निकालने में उसे रचनात्मक भूमिका निभाने को कहा। दोनों मंत्री इस बात पर सहमत हुए किे आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए अच्छा दोस्ताना कारोबारी माहौल बनाए रखना जरूरी है।
इसके साथ ही दोनों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं, महंगाई और परस्पर कारोबार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। कुन ने जी-20 की भारत की अध्यक्षता की सराहना की। उन्होंने उम्मीद जताई कि फाइनेंस ट्रैक के तहत जिन मसलों पर चर्चा हुई है, उन पर आम सहमति के साथ बैठक हो। वहीं, सीतारमण ने भारत की अध्यक्षता में पहली बार बनाए गए सतत विकास कार्यसमूह की सह-अध्यक्षता के लिए चीन के प्रयासों को सराहा।