नई दिल्ली: डीएमके के उप महासचिव ए राजा ने हिंदुओं और शूद्रों के संबंध में एक ऐसा विवादित बयान दिया है जिससे उनका विरोध शुरू हो गया। भारतीय जनता पार्टी ने उन पर आरोप लगाया है कि वह एक समुदाय के ख़िलाफ़ जहर उगलकर दूसरों का तुष्टिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। नीलगिरि के सांसद ने दावा किया कि मनुस्मृति में ‘शूद्रों’ का अपमान किया गया है और उन्हें न ही बराबरी और न ही शिक्षा, रोजगार का अधिकार था और न ही वे मंदिरों में प्रवेश कर सकते थे।
ए राजा ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जब तक आप हिंदू हैं, आप शूद्र रहेंगे। आप जब तक शूद्र हैं, वेश्या की संतान हैं। जब तक आप हिंदू हैं, आप पंचमन (दलित) हैं। जब तक आप हिंदू हैं, आप अछूत हैं। ’’सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘आप में से कितने लोग वेश्या की संतान बने रहना चाहते हैं? आप में से कितने लोग अछूत बने रहना चाहते हैं? अगर हम इन सवालों के प्रति मुखर होंगे तो ये सनातन (धर्म) को तोड़ने में अहम भूमिका निभाएंगे। ’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई ईसाई, मुस्लिम या पारसी नहीं है तो उसे हिंदू होना पड़ेगा। ’ उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा, ‘‘क्या इस तरह की क्रूरता किसी दूसरे देश में है? राजा ने बाद में एक ट्वीट में कहा, ‘‘शूद्र कौन हैं? क्या वे हिंदू नहीं हैं? मनुस्मृति में उनका अपमान क्यों किया गया और क्यों उन्हें बराबरी, शिक्षा, रोजगार और मंदिर में प्रवेश का अधिकार नहीं दिया गया? द्रविड़ आंदोलन (जिसने 90 फ़ीसदी हिंदुओं को बचाया) जिसने इन प्रश्नों को उठाया, उनका हल निकाला, उसे हिंदू विरोधी नहीं कहा जा सकता।’’
ऐसे क्षेत्रीय नेताओं को न तो हिंदू शब्द का मतलब पता है और ना ही हिंदू सनातन परंपरा की जानकारी उन्हें हैं। वर्ण व्यवस्था और जाति प्रथा को अभी तक ब्राह्मणों से जोड़कर कई वर्ग और क्षेत्रीय नेता ब्राह्मणों का विरोध करते थे लेकिन अब हिंदू समुदाय से इसे जोड़ा जाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। ऐसे बयान निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण हैं और ए राजा की बीमार मानसिकता को दर्शाते हैं।