नई दिल्ली : रीढ़ की हड्डी का दर्द वाकई बेहद परेशानी का सबब बन जाता है। इसकी हड्डियों की संरचना जितनी जटिल है उससे ज्यादा इसके शारीरिक महत्व भी होते हैं। रीढ़ की हड्डी के जोड़ स्पाइनल में बेहद सुरक्षित रहते हैं। इन जोड़ों का सीधा संबंध दिमाग से होता है। दुनियाभर में करोड़ों लोगों को रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहती है। यह शारीरिक दिक्कत उन कारणों में से एक है जिससे हमारे जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
डॉक्टर्स कहते हैं कि रीढ़ की हड्डी में दर्द कई तरह से इंसान की मुश्किलें खड़ी कर सकता है। यदि आपको उठते-बैठते वक्त कमर में दर्द होता है या फिर चलने-फिरने-झुकने में परेशानी होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता है। पीठ में अकड़न, खिंचाव, गर्दन या कमर में दर्द (back pain) हो तो उसे बिल्कुल इग्नोर नहीं करना चाहिए।
रीढ़ से जुड़े डिसॉर्डर आपकी स्पाइनल कॉर्ड को डैमेज कर सकते हैं। आर्थराइटस, डीजेनरेटिव डिस्क डिसीज, हर्निएटेड डिस्क, एंकीलॉसिंग स्पॉन्डिलॉसिस, कमर दर्द, गर्दन दर्द, स्कोलाइसिस, स्पाइनल कॉर्ड कैंसर, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी, ऑस्टियोपोरोसिस और काइफोसिस जैसी कई दिक्कतें रीढ़ को नुकसान पहुंचाने का काम करती हैं।
डॉक्टर्स कहते हैं कि रीढ़ से जुड़ी दिक्कत कई कारणों से पैदा हो सकती है। अचानक गिरने, इंफेक्शन, इनफ्लेमेशन, कोई पैदाइशी डिसॉर्डर, रीढ़ की चोट, बढ़ती उम्र, ऑटोइम्यून डिसीज, विटामिन (Vitamins) की कमी या स्पाइन में ब्लड सर्कुलेशन की कमी से रीढ़ में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा मोटापा, लापारवाही से भारी सामान उठाना, खराब लाइफस्टाइल, कैल्शियम की कमी, धूम्रपान, आर्थराइटिस, थायरॉइड(thyroid), रीढ़ पर बहुत ज्यादा दबाव और खराब पोश्चर की वजह से भी इंजरी का जोखिम बढ़ सकता है।
स्पाइन डिसॉर्डर होने पर आपको कंधे से लेकर गर्दन और कमर में दर्द की शिकायत हो सकती है। आप गर्दन और पीठ में दर्द, जलन या चुभन सी महसूस कर सकते हैं। ब्लैडर या आंत में खराबी, जी मिचलाना, उल्टी और हाथ-पैरों मे दर्द की समस्या हो सकती है। पैरालाइज, हाथ-पैरों का सुन्न पड़ना भी स्पाइन डिसॉर्डर के वॉर्निंग साइन होते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने डेली रूटीन के काम आसानी से नहीं कर पा रहा है तो ये भी स्पाइन डिसॉर्डर का संकेत हो सकते हैं।
यदि किसी इंसान को स्पाइनल ट्यूमर है तो उसके लिए सर्जरी करानी पड़ सकती है और रेडिएशन थैरेपी या कीमोथैरेपी की जा सकती है। इसके अलावा अन्य स्पाइन डिसॉर्डर के लिए बैक ब्रेसिंग, इंजरी के लिए आइस या हीट थैरेपी, इंजेक्शन, दवाएं, पीठ या पेट की मांसपेशियों की मजबूती के लिए फिजिकल थैरेपी जैसे विकल्प मौजूद हैं। डॉक्टर्स आपको भारी सामान ना उठाने, बैलेंस डाइट का ख्याल रखने और बॉडी हाइड्रेट रखने जैसी सलाह भी दे सकते हैं।