नई दिल्ली. डायबिटीज, कैंसर के बाद ब्रेन ट्यूमर आज के समय में एक आम बीमारी बनती जा रही है. यह एक ऐसी स्थिति है जब शरीर में असामान्य रूप से बढ़ते हुए टिशू के कारण दिमाग के किसी भी हिस्से में एक गांठ या ट्यूमर उत्पन्न हो जाता है. इस ट्यूमर में सेल्स तेजी से विकसित होती हैं और यह ब्रेन के काम बाधित करती है. यह ट्यूमर बहुत से फैक्टर के कारण हो सकता है. आज हम उन्हीं रिस्क फैक्टर के बारे में बात करेंगे, जो लोग आसानी से नजरअंदाज कर देते है, लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि वो कितनी बड़ी समस्या में फसने वाले हैं.
2. जेनेटिक्स- कुछ लोग आनुवंशिक रूप से ब्रेन ट्यूमर के शिकार हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, न्यूरोफाइब्रोमैटॉसिस टाइप-1 या 2, ली-फ्रामेनी सिंड्रोम या टरकोट सिंड्रोम जैसी कुछ विरासत में मिली स्थितियां ब्रेन ट्यूमर के विकास के खतरे को बढ़ाती हैं.
3. मोबाइल फोन- मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है. हालांकि कोई स्पष्ट सहमति नहीं है, लेकिन यह दिखाया गया है कि अत्यधिक और लंबे समय तक मोबाइल फोन का उपयोग ब्रेन ट्यूमर होने की संभावना को बढ़ा सकता है. कुछ सुझाव बताते हैं कि यह फोन द्वारा उत्पादित गर्मी और इसके विकिरण दोनों से जुड़ा हो सकता है.
4. खराब लाइफस्टाइल- लाइफस्टाइल के कुछ फैक्टर, जैसे प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा सेवन और या फलों व सब्जियों का कम सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी, जैसी चीजें ब्रेन ट्यूमर के विकास में योगदान कर सकते हैं.
5. पर्यावरण टॉक्सिन- कुछ केमिकल या टॉक्सिन, जैसे कीटनाशकों या सॉल्वैंट्स के संपर्क में आने से ब्रेन ट्यूमर विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है.