नई दिल्ली : सनातन धर्म में मां गंगा का बड़ा महत्व है. प्रत्येक वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. यह पर्व माता गंगा को समर्पित होता है. धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक कहा जाता है कि इसी दिन माता गंगा का आगमन धरती पर हुआ था. इस दिन मां गंगा की पूजा आराधना करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है.
धार्मिक मान्यता के मुताबिक मां गंगा की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है. इतना ही नहीं ऐसा माना जाता है कि गंगा सप्तमी के दिन ज्योतिष शास्त्र द्वारा बताए गए कुछ खास उपाय करने से इंसान के सभी पाप खत्म हो जाते हैं. साथ ही विवाह में हो रही देरी से मुक्ति मिल जाती है. जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है.
ज्योतिषी बताते हैं कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 14 मई को देर रात्रि 2:50 से शुरू होगी और इसका समापन 15 मई को सुबह 4:19 बजे पर होगा. ऐसे में गंगा सप्तमी का पर्व 14 मई को मनाया जाएगा. इस दिन ज्योतिषीय गणना द्वारा बताए गए कुछ खास उपाय करने से जीवन में आ रही तमाम परेशानियों से मुक्ति मिलेगी. साथ ही विवाह में हो रही देरी पर भी विराम लगेगा.
अगर आप अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो फिर गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा में दूध अर्पित करें. माता गंगा के मंत्रों का जाप करें. उसके बाद एक दीपक जलाएं. कहा जाता है कि ऐसा करने से जीवन में आ रही तमाम तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
अगर आप विवाह में देरी से परेशान हैं या फिर आपको मनचाहा जीवन साथी नहीं मिल रहा है, तो ऐसी स्थिति में गंगा सप्तमी के दिन गंगाजल में 11 बेलपत्र डालकर शिव मंदिर में जाकर भगवान शंकर के शिवलिंग पर अर्पित करें. ऐसा करने से माना जाता है कि शादी में देरी पर विराम लगता है और मनचाहा जीवन साथी की तलाश पूरी होती है.