लखनऊ। साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव को सेमिफाइनल मानते हुए छोटे दल अपना भाग्य आजमाने में जुटे हैं। इसके जरिए उन्होंने काफी मनसूबे पाल रखे हैं। जानकारों का मानना है कि अगर इस चुनाव में परफॉर्मेंस अच्छा रहा तो उनकी चुनावी गणित ठीक रहेगी।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो छोटे दल चुनाव के समय ज्यादा सक्रिय भूमिका अदा करते हैं। इनका मकसद होता है इसके जरिए वह अपने आगे की जमीन तैयार कर सकते हैं आसानी से मोल भाव भी कर सकते हैं। यह जातीय और क्षेत्रीय स्तर पर रणनीति बनाकर कुछ सीटें झटकने के प्रयास में रहते हैं। जिससे आगे चलकर बड़े दलों से गठबंधन की संभावना बनी रहे।
छोटे दल बेहतर नतीजे लाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। प्रत्याशियों के चयन से लेकर बड़े दलों के रूठों को अपने पाले में लाने पर भी नजर गड़ाए हुए हैं।
खास तौर पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम), अपना दल (कमेरावादी), रालोद और आम आदमी पार्टी ने निकाय चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
सुभासपा ने तो पांच महापौर, 87 नगरपालिका, 117 नगर पंचायतों में अध्यक्ष चुनाव के प्रत्याशी अपने दम पर उतारे हैं। पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि निकाय चुनाव में पार्टी स्थानीय मुद्दों के साथ मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी। चुनाव परिणाम यह बताएंगे कि सुभासपा का जनाधार कितनी तेजी से बढ़ा है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम) ने भी निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी के अध्यक्ष शौकत अली ने बताया नगर पंचायत और पालिका के 24 प्रत्याशी उतार चुके हैं। इसके अलावा जहां भी जीताऊ और टिकाऊ उम्मीदवार मिलेगा। उसे पार्टी मौका जरूर देगी। विधानसभा चुनाव के बाद हमारी पार्टी के लोग जनता के बीच बराबर डटे हुए हैं। इस चुनाव में उसका फायदा भी मिलेगा।
अपना दल कमेरावादी ने विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा था। लेकिन इस चुनाव में अकेले हाथ आजमा रहा है। प्रदेश सचिव गगन प्रकाश यादव ने बताया कि निकाय चुनाव में हम अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ेंगे। विधानसभा चुनाव के वक्त दोनो पार्टी में हुआ गठबंधन चुनावी गठबंधन था। इस चुनाव में हम अलग लड़ रहे है। अभी पूरी सीटें तय नहीं है। काशी से हमने महापौर का उम्मीदवार उतार दिया है। इसके अन्य नगर पंचायत और नगर पालिका में भी प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे।
विधान सभा 2022 में सपा से गठबंधन में चुनाव लड़ी राष्ट्रीय लोकदल की भले पार्टी की मान्यता चली गई हो लेकिन वह निकाय चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि वह कितनी सीटों पर लड़ेंगे यह तय नहीं हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने बताया कि हमारा सपा के साथ गठबंधन है। इस चुनाव के लिए समन्वय समिति बनी है जो कि सपा से भी बात कर रही है। जल्द ही हम लोग निर्णय लेकर अपने प्रत्याशी उतार देंगे।
आम आदमी पार्टी ने निकाय चुनाव के लिए अभी तक महापौर के छह, नगर पालिका परिषद के 40 और चेयरमैन के 97 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। आप के सह मीडिया प्रभारी वैभव ने बताया कि हमारी पार्टी निकाय चुनाव अपने दम पर लड़ रही है, अभी एक सूची घोषित हुई है। जल्द और उम्मीदवारों की घोषणा होगी।
पिछले निकाय चुनाव में महापौर पद में भले ही कोई निर्दलीय न जीता हो पर नगरपालिका व नगर पंचायत में प्रदर्शन अच्छा रहा है। नगरपालिका के अध्यक्ष पद पर 43 और नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर 182 निर्दलीय जीते थे। ऐसे में सभी दलों के थिंक टैंक की निगाहें उन पर टिकी हैं।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि निकाय चुनाव छोटे दलों के लिए ट्रेनिंग सेशन के रूप में होता है। इससे ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसके अलावा पेपर वर्क और चुनाव प्रचार की तैयारी का मौका होता है। छोटे दल के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि उनका प्रदर्शन अच्छा होगा। तो बड़ी पार्टी के साथ गठबंधन का मौका मिला जाता है। इस चुनाव के माध्यम से बड़े चुनाव का रिहर्सल करने का अवसर मिल जाता है। बड़े चुनाव में आकलन करने का अवसर होता है।